आगे भी लड़ती रहेगी सरकार: राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर
(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) से मिली बड़ी जीत से पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राज्यसभा को आईसीजे के फैसले की जानकारी दी। साथ ही पाकिस्तान से जाधव को रिहा करने की मांग की। जयशंकर ने कहा, ‘हम एक बार फिर से पाकिस्तान से कहते हैं कि वह कुलभूषण यादव को रिहा कर दे।‘
पूरा देश जाधव के परिवार के साथ: विदेश मंत्री
उन्होंने कठिन परिस्थितियों में जाधव के परिवार साहस की तारीफ की और सदन एवं पूरे राष्ट्र की ओर से एकजुटता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘इस संवेदनशील मुद्दे पर भारत की जीत से पूरा सदन खुश होगा, यह निश्चित है। इसमें कोई शक नहीं कि सदन जाधव के परिवार के साथ पूरी तरह एकजुट है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में साहस की मिसाल पेश की है। हमारा आश्वासन है कि सरकार जाधव की सुरक्षा के लिए आगे भी कठिन प्रयास करती रहेगी।‘
हरीश साल्वे और टीम की प्रशंसा
विदेश मंत्री ने बताया कि 2017 में सरकार ने सदन में संकल्प लिया था कि जाधव की सुरक्षा सुनिश्चित करने की हरसंभव कोशिश की जाएगी। सरकार ने इस दिशा में अथक प्रयास किए जिनमें आईसीजे में जाने का कानूनी माध्यम भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि सदन सरकार के इन सारे प्रयासों की सराहना करेगा। खासकर, हरीश साल्वे की अगुवाई वाली लीगल टीम की प्रशंसा जरूर की जानी चाहिए।‘
उन्होंने सदन को याद दिलाया कि कुलभूषण को पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने मनगढ़ंत आरोपों में फांसी की सजा सुनाई थी। ऐसा कुलभूषण को बिना किसी कानूनी प्रतिनिधि मुहैया कराए बिना किया गया जो कानून और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘कल का फैसला न केवल भारत और जाधव की बल्कि उनसब की जीत है जो कानून के शासन और अंतरराष्ट्रीय संधियों के प्रावधानों में विश्वास करते हैं।‘
जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार ने कुलभूषण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आईसीजे का दरवाजा खटखटाया। आईसेजी ने कुलभूषण की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। उन्होंने कहा, ‘हमने कोर्ट से जाधव को स्थाई राहत देने की भी अपील की थी जिस पर आईसीजे के 16 में 15 जजों ने एक सुर में भारत की दलील को सही माना। आईसीजे के जो एक जज भारत की दलील से सहमत नहीं हुए, वह पाकिस्तान के थे। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान ने कॉन्स्युलर रिलेशंस पर वियना कॉन्वेंस का उल्लंघन किया।‘

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