कांग्रेस, जदयू व टीएमसी ने किया वाक आऊट
(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। लोकसभा ने गुरुवार को लंबी बहस के बाद तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी। बिल में संशोधन के लिए लाए गए विपक्षी सांसदों के प्रस्ताव गिर गए और यह बिल पारित हुआ।
303 सदस्यों ने बिल के समर्थन में वोट किया जबकि विरोध में 82 वोट पड़े। अब सरकार की कोशिश इसे इसी सत्र में राज्यसभा में पास कराने की होगी। मौजूदा सत्र को भी बढ़ा दिया गया है जो अब 7 अगस्त तक चलेगा। संशोधनों और बिल पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस सांसदों ने वॉक आउट किया। टीएमसी और जेडीयू ने भी वॉक आउट किया। बता दें कि शायरा बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2017 में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी तीन तलाक बिल को लोकसभा की मंजूरी मिल गई थी लेकिन राज्यसभा से इसे मंजूरी नहीं मिली थी, जिसके बाद सरकार ने तीन तलाक को लेकर अध्यादेश जारी किया था। तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष के सवालों और आपत्तियों का विस्तार से जवाब दिया।
तीन तलाक बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बिल का विरोध करने वाले वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मसला न धर्म का है, न इबादत का, न सियासत का, न वोट का, बल्कि यह मसला नारी के साथ न्याय का है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि 1986 में शाह बानो केस में अगर वोट बैंक पॉलिटिक्स को लेकर कांग्रेस के पांव नहीं हिले होते तो आज हमें इस बिल को भी लाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि वह नरेंद्र मोदी सरकार में कानून मंत्री हैं, राजीव गांधी सरकार के कानून मंत्री नहीं और वह मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय के पक्ष में खड़े रहेंगे।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, वोट की राजनीति को लेकर बिल का विरोध किया जा रहा है। अगर 20 से ज्यादा इस्लामिक देशों में तीन तलाक प्रतिबंधित है, जहां शरिया है वहां इस पर प्रतिबंध है तो हम तो सेक्युलर कंट्री हैं तो यहां क्यों नहीं? उन्होंने आगे कहा, मुझे लगता था कि ओवैसी साहब को इस्लाम की बहुत अच्छी जानकारी है। लेकिन जब पैगंबर साहब तलाक-ए-बिद्दत को गलत मानते थे तो इस बिल का विरोध क्यों किया जा रहा है।
कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कानून मंत्री ने कहा, इस सदन ने बहुत कानून बनाए हैं। 1955 की बहस के बाद हिंदू लॉ में बहुत बदलाव हुआ था। हमने हिंदू मैरिज ऐक्ट में शादी के लिए पुरुष की उम्र 21 साल और महिला की 18 साल की गई। 1961 में दहेज विरोधी कानून में दहेज लेने-देने दोनों पर सजा का प्रावधान है। यह सब पर लागू होता है, हिंदू हो या मुस्लिम या कोई और। इंडियन पेनल कोड की धारा 498-। सब पर लागू होता है। यह कानून 1983 में बना। ये सारे कानून कांग्रेस के जमाने में लाए गए। लेकिन 1986 में शाह बानो केस में आपके कदम क्यों डिगने लगे? जिस कांग्रेस ने सब कानून बनाया लेकिन सिर्फ एक शाह बानो केस में 125 रुपये के मैंटिनंस पर क्यों हिलने लगे? और आज तीन तलाक पर भी कांग्रेस के पांव क्यों हिल रहे हैं?
कानून मंत्री ने तीन तलाक पर कानून बनाने की जरूरत क्यों पड़ी, इसे भी स्पष्ट करने की कोशिश की। रविशंकर प्रसाद ने कहा, 2017 से तीन तलाक के 574 केस, सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद 345 केस, ऑर्डिनेंस के बाद भी तीन तलाक के 175 केस आए। एक दिन मेरे पास मुस्लिम समाज की एक आईटी प्रफेशनल आई। वह तीन बच्चों की मां थी और उसके पति ने तीन तलाक दे दिया था। क्या इन तमाम महिलाओं को सड़क पर छोड़ दें? मैं नरेंद्र मोदी सरकार का कानून मंत्री हूं, राजीव गांधी सरकार का नहीं। अगर सन 1986 में यह काम हो गया होता तो आज हमें यह नहीं करना पड़ता।

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