(ब्यूरो कार्यालय)
छपारा (साई)। बारिश के दिनों में अक्सर कच्चे मकान और जर्जर इमारतों का गिरने का खतरा बना रहता है। यदि प्रशासन कच्चे जर्जर मकान और इमारतों का पूर्व से सत्यापन करा ले तो इन इमारतों और कच्चे मकान में रहने वालों को नुकसान से बचाया जा सकता है।
ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले डुंगरिया वार्ड में सोमवार की सुबह एक जर्जर कच्चा मकान गिर गया। इसमें गरीब दंपत्ति और उनके दो बच्चे मौजूद थे। जो बाल बाल बच गये। संत कुमार धुर्वे पिता प्रेमलाल डुंगरिया वार्ड में बीते कई वर्षों से रहते हैं। जो मजदूरी का काम किया करते हैं। उनका मकान जर्जर और कच्चा है। जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना में जोड़े जाने की उनके द्वारा कई समय से माँग की जा रही है। लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। हाल ही में दो दिन से हुई बारिश में मकान हिल गया। जो सोमवार की सुबह ढहा गया।
जिस में मौजूद दंपत्ति और उनके बच्चे बाल-बाल बच गये। घटना की जानकारी मिलने के बाद ग्राम पंचायत छपारा के उपसरपंच मौके में पहुँचकर जायजा लिया है। उन्होंने पंचायत से जो आर्थिक तत्कालीन सहायता दिये जाने की बात कही है। वहीं जानकारी मिलने के बाद तहसीलदार ने पटवारी को मौका निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने के लिये कहा है। तहसीलदार ने नितिन गौड कि मौके की रिपोर्ट आने के बाद क्षतिपूर्ति की राशि पीड़ित परिवार को दिलाई जायेगी।
ग्राम पंचायत छपारा क्षेत्र में सैकड़ों जर्जर मकान है। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। उक्त योजना का लाभ देने के लिये विधानसभा चुनाव के पूर्व ग्राम पंचायत के द्वारा सर्वे किया गया था। जिसमें लगभग एक हजार जर्जर और कच्चे मकान हैं। जिन पर गरीब परिवार निवासरत है। जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभ दिलाए जाने के लिये सर्वे किया गया था। लेकिन आज भी उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।
वहीं ग्राम पंचायत छपारा के उपसरपंच सुरजीत सिंह ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के पूर्व वोट हासिल करने के लिये सर्वे कराया गया। लेकिन हितग्राहियों को अब तक प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं दिया गया है। जबकि कई हितग्राहियों के जर्जर मकान हैं। इसकी रिपोर्ट बनाकर आला अधिकारियों को भेज दी गयी है। बावजूद इसके इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है। देखा जाये तो जनपद पंचायत क्षेत्र में हजारों की तादाद में प्रधानमंत्री आवास बनाये गये हैं। लेकिन वहीं छपारा ग्राम पंचायत प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित है। जहाँ आज भी सैकड़ों हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास की दरकार है। बारिश के दिनों में कच्चे मकानों पर रहने वाले परिवारों को खतरा बना हुआ है।

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