क्या किया जाये आवारा श्वानों का!

 

 

(शरद खरे)

बारिश का मौसम आये महीना बीत गया है, यह अलहदा बात है कि बारिश ने अपना असर एक सप्ताह से दिखाना आरंभ किया है। बारिश का मौसम श्वानों के लिये प्रजनन काल माना जाता है। इस समय आवारा श्वानों की टोली जहाँ चाहे वहाँ आतंक मचाती दिख जाती है। बारिश के मौसम में श्वानों का व्यवहार भी बदल जाता है। इस समय श्वान काफी हद तक हिंसक भी दिखते हैं।

सिवनी शहर में भी आवारा श्वानों की टोली यहाँ-वहाँ विचरण करती दिख जाती है। देर रात पसरे सन्नाटे में भी आवारा श्वानों की टोली आपस में लड़ते हुए कर्कश आवाजें निकालती हैं, जो न केवल लोगों को बुरी तरह डराती हैं, वरन उनकी नींद में खलल भी डालती नज़र आती हैं। इतना ही नहीं आवारा श्वानों के छोटे-छोटे बच्चे भी लोगों के घरों में घुस रहे हैं।

सुबह सवेरे टहलने जाने वालों को भी इस तरह के आवारा श्वानों की टोलियां परेशान करती हैं। सबसे ज्यादा मुसीबत तो स्कूल जाने वाले बच्चों की होती है। शालाओं के विद्यार्थी अपने ऑटो या बस को पकड़ने के लिये घरों से निकलते हैं और रास्ते में इन आवारा श्वानों की टोली उन्हें डराती दिखती हैं।

लगभग एक दशक पहले एक माननीय नयायाधीश को कुत्ते के द्वारा काटे जाने के बाद नगर पालिका उस समय हरकत में आयी थी और शहर के अधिकांश आवारा कुत्तों को शहर से बाहर खदेड़ दिया गया था। साल में एकाध बार ही नगर पालिका के द्वारा दिखावे के लिये आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिये अभियान चलाया जाता है।

पिछले सालों में आवारा कुत्तों के द्वारा जिस तरह से ताण्डव मचाया गया था, वह किसी से छुपा नहीं है। बरघाट नाके में एक दुधमुँहे बच्चे को श्वान के द्वारा उठाकर ले जाया गया था। बाद में उक्त बच्चे ने दम तोड़ दिया था। इन सारी घटनाओं से भी भाजपा शासित नगर पालिका परिषद के द्वारा सबक नहीं लिया गया।

नगर पालिका के पास एक ट्रॉली है जो विशेष रूप से इसलिये तैयार करवायी गयी है ताकि इसमें आवारा कुत्तों को पकड़कर उन्हें शहर की आबादी वाले क्षेत्र से बाहर छोड़ दिया जाये। जाहिर है इस ट्रॉली को सिवनी की जनता के द्वारा कमाये गये पैसों से संग्रहित राजस्व से ही खरीदा गया होगा।

इस ट्रॉली को खरीदने के पीछे पालिका की मंशा यही रही होगी कि शहर में आवारा कुत्तों को पकड़ा जा सके ताकि नागरिकों को तकलीफ न हो पाये। इसके अलावा इन कुत्तों की नसबंदी के लिये भी नगर पालिका परिषद के द्वारा किसी तरह के प्रयास किये गये नहीं दिखते हैं।

शहर में आतंक मचाते आवारा कुत्तों को लेकर नगर पालिका में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष में बैठी काँग्रेस ने भी अपना मौन नहीं तोड़ा है। संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे ही इस मामले में स्वसंज्ञान से कार्यवाही करते हुए पालिका को आदेशित करें ताकि नागरिक आवारा कुत्तों के आतंक से मुक्ति पा सकें।

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