सर्पमित्रों के द्वारा निभायी जा रही मध्यस्थ की भूमिका

 

 

सांपों को इंसान और इंसानों को सांपों से बचाने आ रहे सर्पमित्र

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। श्रावण माह के तीसरे सोमवार को नागपंचमी का त्यौहार मनाया गया। बताया जाता है कि जिले में हर साल एक सैकड़ा से अधिक लोगों की सांप के काटने या भय के कारण मौत हो जाती है। सांप का नाम सुनते ही लोग सिहर उठते हैं। सांपों का यही भय लोगों की मौत का कारण बनता है जबकि जिले में महज चार-पाँच प्रकार के सर्प खतरनाक होते हैं।

सांपों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिये जिले में कई लोग सामने आये हैं जो लोगों को सांप से और सांपों को इंसान से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। पहले इस दिन नज़र आ जाने वाले सपेरे अब आसानी से नज़र नहीं आते हैं। सांपों के प्रदर्शन पर रोक लगने के कारण अब कुछ सपेरे लुक छुप कर घूमते हैं। सपेरे समुदाय का पुश्तैनी धंधा छिन जाने से अब उनके सामने रोजी रोटी का संकट भी आन खड़ा हुआ है।

सर्प रेस्क्यू में जुटे हैं इमरान खान : पेंच नेशनल पार्क में गाईड और पर्यावरणविद के रुप में काम करने वाले युवा इमरान खान मूल रूप से कुरई के खवासा के निवासी हैं। वे लोगों को सांप को लेकर उनकी गलत फहमियां दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले पाँच-छः सालों के दौरान इमरान ने दो हज़ार से अधिक सांपों का रेस्क्यू किया है। इमरान का कहना है कि सांप से अधिक उसके डर से लोगों की मौत होती है। सांप मूलरूप से शर्मिला होता है लेकिन खतरे की आशंका में वह लोगों पर हमला करता है।

एक कॉल पर आ जाता है वन विभाग का उड़न दस्ता : वन वृत्त सिवनी के अंतर्गत मुख्य वन संरक्षक उड़न दस्ता द्वारा लगातार सरीसृपों का रेस्क्यू कार्य किया जा रहा है। दल में शामिल अर्पित मिश्रा का कहना है कि फिल्मों, टीवी चैनलों आदि में सांपो से संबंधित बहुत सी फिल्में और धारावाहिक बन रहे हैं जिसके कारण लोगों में बेहद गलत जानकारियां, भ्राांतियां है। अर्पित मिश्रा द्वारा लगातार कार्यशालाओं का आयोजन कर इस संबंध में लोगों को सही जानकारियां प्रदान की जा रही हैं।

लतीफ खान लोगों में ला रहे जागरूकता : अरी क्षेत्र में रहने वाले लतीफ खान भी सर्पमित्र की तरह काम कर रहे हैं। लतीफ खान पिछले पाँच वर्षों से सांप के रेस्क्यू के काम में लगे हैं। वे निस्वार्थ भाव से लोगों और सांपों को बचाने के मिशन में लगे हैं। लतीफ खान का कहना है कि जिले में अधिकांश मौतें तत्काल उपचार न मिलने, लापरवाही और झाड़फ़ूंक में वक्त जाया करने के कारण होती हैं। उनकी सलाह है कि सर्पदंश की स्थिति में फौरन अस्पताल का रूख किया जाये।

कुछ वर्षों पहले तक जिले में नागपंचमी के दिन नज़र आने वाले सपेरे अब नज़र नहीं आते हैं। सांप पकड़ने, प्रदर्शन आदि पर रोक के बाद सपेरों का रोजगार ही छिन गया है। पहले घंसौर के मेहता गाँव में पाँच छः परिवार यही काम करते थे। आज ये सपेरे परिवार बेरोजगार हो गये हैं और किसी तरह आजीविका चला रहे हैं। सपेरों की माँग है कि सरकार उन्हंे रोजगार देने के लिये कोई योजना लाये।

इसके साथ ही साथ विभागीय कर्मचारियों को सर्प एवं वन्य प्राणियों को सुरक्षित रेस्क्यू करने की विधि भी सिखायी जा रही है। अर्पित मिश्रा ने बताया कि धामन साँप को लेकर लोगों में भ्रांतियां भी है कि इसके पूंछ में जहर होता है या ये पूंछ से हमला करता है। पर्रामन या कोड़िया सांप फुफकारता है और जहर लग जाता है तब उन लोगों को बताया जाता है कि ये सब गलत जानकारी है। असल मे धामन सांप बिल्कुल भी जहरीला नहीं होता है बल्कि धामन सांप की उपस्थिति जहरीले सर्पाें को दूर रखती है। और ऐसा कोई सांप नही जिसके फुफकारने से जहर लगे या आदमी मर जाये।

रेस्क्यू के दौरान भी लगातार लोगों को सही जानकारियां दी जा रही हैं साथ ही सोसल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को सर्पों के प्रति जागरूक करने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। अर्पित मिश्रा फॉरेस्ट नाम से चैनल भी तैयार किया गया है जिसमें सर्प से संबंधित जानकारियां दी जा रहीं हैं।

सिवनी में हुई अधिकतर सर्प दंश की घटनाओं के पता चलने पर तत्काल मौके पर पहुँच कर पीड़ितों की सहायता की जा रही है। इस क्रम में श्री मिश्रा द्वारा जहरीले सांपों द्वारा काटे जाने पर तत्काल लोगों की सहायता की एवं सभी मामलों में सफलता पूर्वक लोगों की जीवन रक्षा में अपना योगदान दिया गया।

इन सर्पमित्रों के द्वारा लोगों से संपर्क कर लगातार जानकारियां साझा की जा रहीं हैं। सर्प दंश की घटनाओं में बिना देरी किये तत्काल अस्पताल जाना चाहिये। सर्पदंश का एक ही उपचार है एंटी वेनम सीरम जो अस्पतालों में उपलब्ध है। ज्यादातर सर्पदंश बिना जहर वाले साँपों के द्वारा होते हैं लेकिन घबराहट और अज्ञानता के चलते लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।

अनेक लोगों ने तो झाड़ फूंक, ओझाओं या जादू टोना वालों के पास जाकर जहर को शरीर में फैलने के लिये महत्वपूर्ण समय देते हुए अपनी जान से खिलावाड़ किया जाता है। सांपों में जहरीले सांपों का अनुपात बहुत कम है। इस तरह के सर्प 10 प्रतिशत से भी कम हैं इसलिये ज्यादातर मामलों में सर्प दंश की घटनाओं में मृत्यु नहीं होती है और लोग समझते हैं कि झाड़ फूंक की वजह से जान बच गयी।