अस्पताल से रात में हुई नाबालिग गायब!

 

 

खुली अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल, सराय बना है अस्पताल!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। जिला अस्पताल के कायाकल्प के लिये अस्पताल मित्र योजना का आगाज़ किया गया है। 01 अगस्त से अस्पताल में वही प्रवेश पा सकता है जिसके पास मरीज़ को भर्त्ती करवाये जाने के उपरांत पास हो, इसके बाद भी सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात अस्पताल के अंदर से तेरह वर्षीय एक बालिका के गायब होने से अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की कलई खुल गयी है।

अस्पताल के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बारापत्थर निवासी एक पचास वर्षीय मरीज़ आईसोलेशन वार्ड में भर्त्ती हैं। उस मरीज़ की पत्नि और तेरह वर्षीय पुत्री मंगलवार की रात अस्पताल में थे। रात में पुत्री के द्वारा मोबाईल पर किसी से बात किये जाने पर उसकी माँ के द्वारा उसे डांट लगायी गयी।

सूत्रों ने बताया कि रात एक बजे के आसपास नाबालिग बालिका किसी अज्ञात के साथ अस्पताल से कहीं चली गयी। इस बात की सूचना लापता बालिका के मामा के द्वारा रात में ही डायल 100 एवं कोतवाली पुलिस को दे दी गयी। कोतवाली में उस समय उपस्थित शिवेंद्र पाठक के द्वारा नाबालिग का आधार कार्ड लाने की बात कहकर उसके मामा को कोतवाली से बिदा कर दिया गया।

सूत्रों ने आगे बताया कि सुबह तक जब नाबालिग वापस नहीं लौटी तब कोतवाली पुलिस हरकत में आयी। कोतवाली पुलिस के द्वारा मंगलवार को सुबह प्रियदर्शनी के नाम से सुशोभित जिला अस्पताल के सीसीटीवी फुुटेज खंगाले गये। सूत्रों ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में नाबालिग किसी अज्ञात के साथ अस्पताल से जाते हुए दिख रही है।

इधर, कोतवाली पुलिस सूत्रों ने बताया कि रात को नाबालिग के गायब होने के उपरांत पुलिस के द्वारा शहर में लगे पुलिस के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गये। इन फुटेज में नाबालिग किसी के साथ जाती हुई दिखायी दे रही है। सूत्रों ने कहा कि नाबालिग कुरई की ओर जाती दिखी है, इसलिये पुलिस के द्वारा कुरई की ओर नाबालिग की खोज की जा रही है।

ज्ञातव्य है कि जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा लोकसभा चुनावों के उपरांत मई माह से ही जिला अस्पताल के कायाकल्प की ओर ध्यान देना आरंभ किया गया है। उनके द्वारा अस्पताल के शानदार भवन के रंग रोगन और मरम्मत की एक योजना भी बनायी गयी है। इसके लिये धन जुटाने के उद्देश्य से अस्पताल मित्र योजना भी आरंभ की गयी है।

लोगों का कहना है कि अस्पताल का भवन अभी जर्जर नहीं हुआ है। अस्पताल में रंग रोगन और मरम्मत कराने की जवाबदेही लोक निर्माण विभाग की है। पीडब्ल्यूडी के पास इसके लिये पर्याप्त धन और साधन भी हैं। जिलाधिकारी अगर चाहें तो लोक निर्माण विभाग के जरिये अस्पताल का कायाकल्प बिना किसी की मदद के कर सकते हैं।

लोगों का कहना है कि अस्पताल में वर्तमान में सबसे ज्यादा जरूरत सुरक्षा और सफाई व्यवस्था को सम्हालने की है। अस्पताल को मानो सराय बना लिया गया है। अस्पताल में 01 तारीख से पास सिस्टम को कड़ाई से लागू किया गया है, पर यह कड़ाई महज़ चिकित्सकों के राउण्ड लेते समय ही दिखायी देती है। शेष समय जिसका मन होता है वह अस्पताल में बेरोकटोक आ-जा सकता है।

बताया जाता है कि बीति रात नाबालिग को लेकर कोई अज्ञात अस्पताल से गया है। अगर यह सच है तो यक्ष प्रश्न यही है कि अज्ञात व्यक्ति अस्पताल के अंदर (वह भी रात को एक बजे) बिना पास के प्रवेश कैसे कर गया! इससे जाहिर हो रहा है कि अस्पताल में जो कुछ हो रहा है वह महज़ दिखावे के लिये ही हो रहा है।