भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून का बहुत जोर-शोर से स्वागत किया जाता है। इस इलाके में कृषि पूरी तरह बादलों की मेहरबानी पर निर्भर है। बारिश अपने साथ कई बीमारियाँ लेकर भी आती है। जहाँ शहरों में नालियों का पानी सड़कों पर बहने लगता है, वहीं दूषित पेयजलजनित कई बीमारियाँ भी घरों के अंदर तक पहुँच जाती हैं। गाँवों में दूषित पेयजल के अलावा लगातार गोबर और कीचड़ के संपर्क में रहने से त्वचा संबंधी रोग भी हो जाते हैं।
बारिश के मौसम में छ: प्रमुख बीमारियों से बचाव की व्यवस्था करना चाहिए। इनमें मलेरिया, डेंगू, हैजा, टायफायड, पीलिया तथा खाज-खुजली जैसे चर्म रोग शामिल हैं। इसके अलावा जहरीले कीड़ों के डंक भी कई लोगों को परेशान करते हैं।
सर्पदंश एवं कुत्तों के काटने का भय भी सबसे अधिक बारिश के मौसम में ही रहता है। इन सभी रोगों के होने का मुख्य कारण यह है कि बारिश के कारण मौसम में आई नमी, गड्ढों और पोखरों में जमा हुए पानी में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। ऐसे मौसम में जहाँ हवा में ही बैक्टीरिया और रोगजनित कीटाणु फैल रहे हों, कोई भी बीमार हो सकता है। बच्चों के लिए यह मौसम बारिश की बूँदों का मजा देने के लिए आता है, साथ ही बीमारियों की चेतावनी भी लाता है। बरसात के दिनों की मुख्य बीमारी है मलेरिया।
मलेरिया
विकासशील देशों में मलेरिया कई मरीजों के लिए मौत का पैगाम बनकर सामने आता है। मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गवाँ देते हैं। प्रोटोजुअन प्लासमोडियम नामक कीटाणु के प्रमुख वाहक मादा एनोफिलीज मच्छर होते हैं जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैला देते हैं।
लक्षण
मलेरिया के प्रमुख लक्षण यह हैं कि एक निश्चित अंतराल से रोज एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है। सिरदर्द और मितली आने के साथ कंपकंपी के साथ ठंड लगने के दौरे प्रमुख हैं। मरीज को हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है।
बचाव और इलाज
मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना। इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाएँ छिड़कवाना, गंबूशिया मछली के बच्चे छुड़वाना आदि उपाय भी जरूरी हैं। यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुँचाने वाले मच्छरों के लार्वा पर पलती हैं।
यदि मरीज में ऊपर लिखे लक्षण सामने आ रहे हैं तो उसका इलाज योग्य चिकित्सक से कराना चाहिए। कुनैन की गोली इस रोग में फायदा पहुँचाती है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मामले में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होती है।
मरीज को सूखे और गर्म स्थान पर आराम करने दें। कुनैन के कारण मरीज को मितली के साथ उल्टियाँ आ सकती हैं। इसके कारण मरीज को निर्जलन की शिकायत भी हो सकती है। याद रखें मच्छर काटने के 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आते हैं।
(साई फीचर्स)

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