. . . फिर किस बात का टोल!

 

 

(शरद खरे)

सिवनी जिले से होकर फोरलेन गुजर रहा है। यह फोरलेन उस महत्वपूर्ण परियोजना का हिस्सा है जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में बनाया गया था। इसके तहत स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में फोरलेन का निर्माण कराया गया था।

सिवनी जिले में इस परियोजना के विवादित हिस्से को छोड़कर शेष भाग को वर्ष 2010 में पूरा कर लिया गया था। इस दौरान मोहगांव से खवासा के हिस्से में 22 किलो मीटर और छपारा से गणेशगंज के बीच लगभग नौ किलो मीटर सड़क का निर्माण नहीं कराया जा पाया था।

इसी के साथ ही सिवनी में लखनादौन के पास बनाए गए टोल प्लाजा के बजाए अलोनिया में अस्थाई टोल प्लाजा बनाया जाकर यहां टोल वसूली आरंभ करवा दी गई थी। अब जबकि छपारा से गणेशगंज का काम पूरा हो चुका है तब लखनादौन के पास बनाए गए टोल प्लाजा के जरिए टोल वसूली की जाना चाहिए, पर अभी भी बंडोल के पास अलोनिया में ही टोल वसूली का काम जारी है।

देखा जाए तो इन टोल बूथ में एंबूलेंस में पैरामेडिकल स्टाफ, चिकित्सीय उपकरण व डॉक्टर होना चाहिये ताकि दुर्घटना की स्थिति में मदद मिल सके। एनएच पर मेडिकल एड पोस्ट हो जिसमें जीवन रक्षक दवाईयां उपलब्ध कराने की सुविधा हो। एनएच के किनारे रौशनी की व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे, क्रेन की व्यवस्था करना कंपनी की ही जिम्मेदारी है।

विडम्बना ही कही जाएगी कि एनएचएआई की एंबूलेंस यदा कदा ही दिखाई देती है वह भी तब जब कोई व्हीव्हीआईपी मूवमेंट होता है। शेष समय दुर्घटना की स्थिति में 108 एंबूलेंस ही घायलों के लिए सहारा बनती है। इस तरह परोक्ष तौर पर एनएचएआई के अधिकारियों के द्वारा सड़क बनाने वाले ठेकेदार को आर्थिक मदद की जाती है। यह इसलिए भी माना जा सकता है क्योंकि एनएचएआई की एंबूलेंस का संधारण ठेकेदार को करना होता है और 108 एंबूलेंस को प्रति किलो मीटर का भुगतान राज्य शासन के द्वारा किया जाता है।

2010 से अब तक इन नौ सालों में किसी भी सांसद, विधायक ने इस बात को नहीं उठाया है कि जब सड़क बनाने वाले ठेकेदार के द्वारा आवश्यक सुविधाएं ही मुहैया नहीं करवाई जा रही हैं तो वाहनों से टोल किस बात का लिया जा रहा है। हाल ही में बनी छपारा लखनादौन सड़क जर्जर हो चुकी है तो कुरई घाट पर चल रहे काम से सड़क मोटरेबल भी नहीं हो पाई है, जिससे आए दिन जाम लग रहा है।

संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह सहित जिले के दोनों सांसदों, चारों विधायकों से जनापेक्षा है कि वे ही इस मामले में स्वसंज्ञान से कराहते चल रहे यातायात को पटरी पर लाने की कवायद करें ताकि सिवनी का नाम लोग सम्मान के साथ ले सकें।