जलसंकट पर कांग्रेस, भाजपा मौन!

 

 

स्थानीय मामलों को अभी भी तरजीह नहीं दे रही कांग्रेस भाजपा!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। लगभग 62 करोड़ 55 लाख रुपए की लागत से जिला मुख्यालय को पेयजल प्रदाय करने वाली जलावर्धन योजना एवं दो दशक पुरानी जलावर्धन योजना से लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है इसके बावजूद भी नगर पालिका में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस इस संवेदनशील मामले में पूरी तरह खामोश नजर आ रही है।

ज्ञातव्य है कि 62 करोड़ 55 लाख (मूलतः 48 करोड़) रूपए की नवीन जलावर्धन योजना के लिए मार्च 2015 में नगर पालिका और महाराष्ट्र मूल की लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच करार हुआ था। इस करार के तहत कंपनी को नवीन जलावर्धन योजना का काम 11 माह (फरवरी 2016) में पूरा कर दिया जाना चाहिए था।

विडम्बना ही कही जाएगी कि फरवरी 2016 में पूरी होने वाली यह योजना सवा तीन साल भी पूरी नहीं हो पाई है। फरवरी 2018 में तत्कालीन निर्दलीय (वर्तमान भाजपा के) विधायक दिनेश राय के द्वारा मार्च माह से इस योजना को चालू करने का अल्टीमेटम दिया था। इस समय सीमाा के 537 दिन बीत जाने के बाद भी दिनेश राय के द्वारा दुबारा इस योजना के लिए कोई प्रयास नहीं किए हैं।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि इस साल जनवरी में जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा जलावर्धन योजना को प्राथमिकता में रखा गया था। उनके द्वारा ठेेकेदार को इस काम को फरवरी में पूरा कर 01 मार्च से शहर को नई जलावर्धन योजना से पानी मिलना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। जिलाधिकारी के द्वारा तय की समय सीमा से 172 दिन ज्यादा हो चुके हैं।

शहर में गंदा, बदबूदार, मटमैला पानी आने की शिकायतें आम हैं। इसके अलावा जब चाहे तब नगर पालिका के द्वारा नल नहीं आने की सूचना दे दी जाती है। तत्कालीन जिलाधिकारी धनराजू एस. के द्वारा भीमगढ़ के पानी को सीधा बबरिया तालाब में डालने और उसके बाद इसे फिल्टर कर शहर में प्रदाय करने की योजना बनाई गई थी। उनके जाते ही इस योजना को ठण्डे बस्ते के हवाले कर दिया गया था।

नगर पालिका के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जब प्रदेश में भाजपा की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार काबिज थी तब ठेकेदार का इकबाल सियासी हल्कों में खासा बुलंद था, इसके अलावा ठेकेदार के द्वारा नगर पालिका में सभी को पूरी तरह साध लिया गया था।

सूत्रों का कहना है कि इसके पहले तत्कालीन जिलाधिकारी गोपाल चंद्र डाड के द्वारा ठेकेदार पर एक करोड़ रूपए का जुर्माना प्रस्तावित किया था, किन्तु ठेकेदार के अहसानों तले दबा नगर पालिका प्रशासन ठेकेदार से इस जुर्माने को वसूल नहीं किया गया, उल्टे ठेकेदार को समय दिया गया जिससे ठेकेदार के द्वारा राज्य स्तरीय समीति से जांच करवाई जाकर जिला स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट को खारिज करवा दिया गया।

सूत्रों ने कहा कि अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस के पार्षद भी इस मामले में पूरी तरह मौन हैं। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजकुमार खुराना अगर चाहें तो जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के जरिए नवीन जलावर्धन योजना में ठेकेदार की झींगामस्ती और विलंब कारित करने पर ठेकेदार को काली सूची में डालने की कार्यवाही की जाकर ठेकेदार पर जुर्माना कर राशि वसूल की जा सकती है, पर वे भी जनता से सीधे जुड़े इस मामले में मौन ही साधे दिख रहे हैं।