सीएसआर की शर्तों का उल्लंघन कर रहा प्रबंधन!

 

 

जिलाधिकारी चाहें तो पीसीबी के जरिए लगवा सकते हैं झाबुआ पावर संयंत्र में ताला!

(लिमटी खरे)

सिवनी (साई)। लगभग नौ सालों से आदिवासी बाहुल्य घंसौर की सड़कों को छलनी करने वाले झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट के द्वारा सीएसआर की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन किया जाता रहा है और जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के द्वारा इस मामले में किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है।

ज्ञातव्य है कि देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा घंसौर के बरेला में कोल आधारित पावर प्लांट की संस्थापना करवाई गई है। संयंत्र में आने वाली भारी मशीनरी, कोयला और निकलने वाली फ्लाई एश को ले जाने वाले वाहनों के द्वारा सड़कों के धुर्रे उड़ाकर रख दिए गए हैं।

जिला प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (पीसीबी) के द्वारा झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा पहले 600 मेगावाट के पावर प्लांट के लिए 2009 में जन सुनवाई की गई थी। इसके उपरांत 2011 में एक बार फिर जनसुनवाई की गई थी।

सूत्रों ने बताया कि इसके बाद झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा क्षमता विस्तार (चूंकि यह 600 से बढ़ाकर 1260 मेगावाट का कर दिया गया था) के लिए पुनः जनसुनवाई का आयोजन किया जाना चाहिए था, किन्तु संयंत्र प्रबंधन के द्वारा पीसीबी के अधिकारियों को साधकर बिना जनसुनवाई के ही क्षमता विस्तार कर लिया गया था। इसके आलवा कंसेंट टू आपरेट भी प्राप्त कर ली गई थी।

सूत्रों ने बताया कि पहली जनसुनवाई के दौरान कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलटीज (सीएसआर) में जिन बातों को सशर्त माना था उन पर संयंत्र प्रबंधन के द्वारा अनुमति मिलने के उपरांत ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई है। उस दौरान क्षेत्र में प्रदूषण न फैले इसके लिए सीएसआर के तहत संयंत्र को पहल करना चाहिए था।

सूत्रों की मानें तो संयंत्र प्रबंधन पर 2014 से लगातार ही जिला प्रशासन के द्वारा इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा है कि क्षेत्र में जर्जर हो रही सड़कों को संयंत्र प्रबंधन दुरूस्त करवाए, किन्तु संयंत्र के मालिकों का इकबाल सियासी हल्कों में इतना बुलंद है कि संयंत्र प्रबंधन के द्वारा जिला प्रशासन के बातों को हवा में ही उड़ा दिया जाता रहा है।

सूत्रों ने बताया कि सीएसआर के तहत अगर संयंत्र प्रबंधन के द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप अब तक काम नहीं किया गया है तो जिलाधिकारी प्रवीण सिंह चाहें तो प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के जरिए संयंत्र का उत्पादन रोका जाकर संयंत्र में ताला भी लगाया जा सकता है!