नो एन्ट्री में भारी वाहनों का प्रवेश पुनः आरंभ

 

शहर में इन दिनों नो एन्ट्री के समय भारी वाहनों का प्रवेश करना एक बार फिर से आरंभ हो गया है। इन भारी वाहनों के कारण शहर का पहले से ही अव्यवस्थित यातायात और भी दयनीय स्थिति में पहुँचकर मानव जीवन के लिये भी खतरा बनता प्रतीत हो रहा है।

ये भारी वाहन शहर में कैसे प्रवेश करते हैं यदि प्रशासन को यह देखना है तो शहर में प्रवेश करने वाले सभी मार्गों पर उसके द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगवा दिये जायें। दरअसल शहर के बाहरी क्षेत्रों में (बोलचाल की भाषा में नाका) नो एन्ट्री के समय होमगार्ड के वे सैनिक जो यातायात विभाग में पदस्थ हैं, खड़े दिख जाते हैं। इन सैनिकों के द्वारा बेहद ही मुस्तैदी के साथ भारी वाहनों को शहर में प्रवेश करने से रोक दिया जाता है। इन वाहनों के रूकने के बाद शुरू होता है भारी वाहन के चालक और होमगार्ड के सैनिक के बीच सौदा।

यह सौदा इस बात को लेकर होता है कि भारी वाहन को शहर में प्रवेश कितने रुपए में करने दिया जायेगा। इसके लिये वाहन चालक के द्वारा आमतौर पर दस रुपए से बात शुरू की जाती है जो अमूमन 50 रुपए में तय हो जाती है। बात पक्की होते ही चालक के द्वारा पचास रुपए नाके में पदस्थ सैनिक के हाथ में थमा दिये जाते हैं और उसके बाद उक्त वाहन चालक के लिये नो एन्ट्री की शर्तें कोई मायने नहीं रखती हैं जिसके चलते वह वाहन शहर में प्रवेश कर जाता है।

यहाँ जो वाहन चालक पैसे देने की स्थिति में नहीं होते हैं उनका वाहन नाके पर ही खड़ा करवा लिया जाता है। प्रशासन को इस तरह के कार्य को गंभीरता से लेना होगा ताकि शहर के नागरिकों के साथ, मात्र 10-50 रुपए के लिये यातायात विभाग के सैनिक खिलवाड़ न कर सकें।

अनिमेष अन्नी

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