बरसात में बरतें एहतियात

 

 

बरसात के मौसम में बारिश में नहाना या सड़कों पर भरे पानी में निकलने की कल्पना ही किसी को भी आनंदित और रोमांचित कर सकती है लेकिन इस मौसम में एहतियात नहीं बरती जाए तो कई बीमारियां हो सकती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इस मौसम में चर्म रोग (त्वचा), वायरल बुखार और टाइफाइड जैसी बीमारियां किसी भी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती हैं।

गौरलतब है कि लगभग समूचे देश में इन दिनों बारिश हो रही है और कहीं तो बाढ़ तक आ गई है। भले ही बारिश में आप घर में रह रहे हों, लेकिन आपको चर्म रोग या त्वचा में फंगस होने तथा वायरल होने का खतरा रहता है। केंद्रीय यूनानी चिकित्सा परिषद के डॉक्टर सैयद अहमद खान ने कहा, बारिश में सबसे ज्यादा खतरा चर्म रोग होने का होता है।

इस मौसम में बारिश की वजह से किसी व्यक्ति के शरीर में खुजली हो सकती है और फिर बारीक-बारीक दाने आदि निकल सकते हैं और जिससे फंगस संक्रमण हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति खुद से इलाज नहीं करे और तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाए। सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके मुंद्रा ने कहा, मानसून को संक्रमणों का मौसम माना जाता है। बारिश में नहीं भीगने के बावजूद आप संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। त्वचा, नाखून और पैर में फंगस के संक्रमण के शिकार होने की आशंका रहती है।

उन्होंने कहा कि अगर आप छाता लेकर बारिश से खुद को बचा रहे हैं लेकिन सड़क पर मिट्टी और कचरे से भरे पानी में पैदल चलते हैं तो इससे फंगस या त्वचा के संक्रमण होने की आशंका दोगुनी हो जाती है। कीचड़ या गंदे पानी के संपर्क में आने वाले पैरों की त्वचा और नाखून फंगस संक्रमण और एलर्जी के शिकार हो सकते है। बारिश के पानी में सीवरेज का पानी भी मिल जाता है और इससे लीवर और किडनी को प्रभावित करने वाली लैप्टोस्टिरियोसिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। इसका उपचार नहीं किया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है।

डॉ खान ने कहा, बारिश के कारण हैजा, टायफाइड, पीलिया और डायरिया जैसे जलजनित रोग हो सकते हैं। इसके अलावा मच्छरों से होने वाले मलेरिया, डेंगू और दिमागी बुखार जैसे रोग होने की आशंका भी रहती है। तापमान में नमी आने से अस्थमा से पीड़ित लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

डॉ मुंद्रा कहते हैं कि पशुओं और चूहों का मलमूत्र बारिश के दौरान पानी में मिल जाता है और जब यह किसी भी तरह से मानव शरीर में प्रवेश कर जाता है तो लीवर को प्रभावित करने वाले संक्रमण हो सकते हैं। डॉ खान ने कहा, संक्रमण का संबंध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से होता है और यह जितनी कमजोर होगी, संक्रमण होने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।

उन्होंने कहा, इसलिए इस मौसम में फलों खासतौर पर, सेब, नाशपाति, अन्नानास और सूखे मेवों का इस्तेमाल करना चाहिए। डॉ खान ने कहा, रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए एक व्यक्ति को रोजाना पांच बादाम, एक अखरोट, सात दाने किशमिश और दो-तीन खजूर का सेवन करना चाहिए।

(साई फीचर्स)