(ब्यूरो कार्यालय)
इंदौर (साई)। देश के गेहूं उत्पादन में मध्यप्रदेश भले ही दूसरे नंबर का राज्य हो, लेकिन गुणवत्ता के मामले में यहां का गेहूं एक नंबर पर पहुंच चुका है। यही वजह है कि देश की राजधानी दिल्ली से लेकर सर्वाधिक उत्पादकता वाले पंजाब और हरियाणा में भी अब खास लोग मध्यप्रदेश का ही गेहूं खाने लगे हैं।
देशभर में मध्यप्रदेश के गेहूं ने अपनी धाक जमा ली है। यहां के मालवी और शरबती गेहूं का डंका महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक आदि दक्षिणी राज्यों तक बजने लगा है। इंदौर में 17 साल बाद गेहूं पर होने जा रहे राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर मप्र में गेहूं के अनुसंधान से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संभावनाओं व चुनौतियों पर ‘नईदुनिया” की खास रिपोर्ट।
सम्मेलन में आई गोरखपुर की कोयली देवी ने 2 किलो एचडी-127 प्रजाति के गेहूं से 2.5क्विंटल पैदावार की। सम्मेलन के पहले दिन कोयली देवी को सम्मान भी किया गया।
शरबती (ब्रेड व्हीट) गेहूं की मुलायम रोटियां और मालवी गेहूं का प्रोटीन स्तर इसे खास बनाते हैं। प्रदेश के सीहोर, विदिशा, सागर, बीना, खुर्रई, होशंगाबाद का इलाका शरबती गेहूं के लिए जाना जाता है। वहीं इंदौर, देवास, उज्जैन, धार, खरगोन, खंडवा, बड़वानी का क्षेत्र मालवी (ड्यूरम) गेहूं की पैदावार में आगे है।
मध्यप्रदेश में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से संबद्ध इंदौर का क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र मालवी गेहूं पर लगातार अनुसंधान कर रहा है तो दूसरी तरफ होशंगाबाद जिले के पवारखेड़ा में भी शरबती गेहूं पर अनुसंधान चल रहे हैं। इन दोनों केंद्रों से मालवी और शरबती गेहूं की कई नई किस्म किसानों को मिली हैं।
खत्म हुआ लोकवन, अब पूर्णा का बोलबाला
इंदौर गेहूं अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह का कहना है कि अब तक मालवी (कठिया) गेहूं की 31 प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं। इनमें एक समय लोकवन गेहूं इतना मशहूर हुआ कि खेतों से लेकर किसानों की जुबान पर हर कहीं यही छाया रहता था।
वक्त के साथ लोकवन प्रजाति पर गेस्र्आ की बीमारी ने आक्रमण करना शुरू किया तो हमारे वैज्ञानिकों ने नई प्रजातियां ईजाद की। इस समय मालवी गेहूं की एचआई-1544 प्रजाति तेजी से प्रसिद्ध हो रही है।
यह गेरुआ रोग से सुरक्षित तो है ही, इसकी रोटी भी बहुत मुलायम बनती है और इसमें प्रोटीन का लेवल भी बेहतर है। ऐसे सभी गुणों से युक्त इस प्रजाति को बहुत सुंदर नाम पूर्णा भी दिया गया है। इस समय मालवा से लेकर निमाड़ तक पूर्णा का परचम लहरा रहा है।
मप्र के सबसे पुराने गेहूं अनुसंधान केंद्र पवारखेड़ा के एसोसिएट डायरेक्टर और यहां के कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. पीसी मिश्रा बताते हैं कि गेहूं के मामले में मप्र की प्रगति इसी से साबित होती है कि हमें लगातार पांच बार भारत सरकार का कृषि कर्मण अवार्ड मिल चुका है। इसमें तीन बार तो गेहूं उत्पादन के लिए ही मिला है।

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.