गांधी जी के जीवन पर हुई कार्यशाला

 

प्राचार्य चिले का खादी वस्त्र से हुआ सम्मान

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर राष्ट्र सेवा योजना के स्वर्ण दिवस जयंती वर्ष में 23 अगस्त से 7 सितम्बर तक सायकिल रैली काशी विश्वविद्यालय बनारस द्वारा आयोजित की गई। जिसका आगमन आज सिवनी हुआ इस अवसर पर रैली के प्रमुख बाला लाखरे वरिष्ठ पत्रकार एवं मनोज तिवारी सहित 19 युवा शामिल हुये है। इनके आगमन पर पीजी कालेज सिवनी में व्याख्यान का कार्यक्रम आयोजित किया गया। वहीं खादी वस्त्र से प्राचार्य डॉ एसके चिले का सम्मान किया।

इस अवसर पर बाला लाखरे ने कहा कि हमारा देश महान स्त्रियों और पुरुषों का देश है जिन्होंने देश के लिए ऐसे आदर्श कार्य किए हैं जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे। कई महापुरुषों ने हमारी आजादी की लड़ाई में अपना तन – मन – धन परिवार सब कुछ अपज़्ण कर दिया। ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे महात्मा गांधी। महात्मा गांधी युग पुरुष थे जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था।

आपने आगे बताया कि इस महापुरुष का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। आपका पूरा नाम मोहनदास था। आपके पिता कर्मचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली अत्यंत सरल महिला थी। मोहनदास के व्यक्तित्व पर माता के चरित्र की छाप स्पष्ट दिखाई दी।

डॉ.एसके चिले प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण करने के पश्चात राजकोट से मेट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर आप वकालत करने इंग्लैंड चले गए। वकालत करके लौटने पर वकालत प्रारंभ की। एक मुकदमे के दौरान आपको दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां भारतीयों की दुर्दशा देख बड़े दुखी हुए।

आपने बताया कि महात्मा गांधी में राष्ट्रीय भावना जागी और वे भारतवासियों की सेवा में जुट गए। अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए। असहयोग आंदोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया। इस अवसर पर प्रो.मंजू सराफ, डॉ.मानकचंद सनोडिय़ा, पवन नाग, डॉ.दुर्गा प्रसाद, प्रो. प्रजापति, तिवारी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।