पहले भी कुत्ता गाड़ी सड़ चुकी है फिल्टर में!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। शहर में आवारा कुत्तों की धमक इस कदर बढ़ गयी है कि आम नागरिक भी अब आवारा कुत्तों से भयाक्रांत नज़र आ रहे हैं। नगर पालिका के द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ने की गरज से एक ट्रॉली को कुत्ता गाड़ी में तब्दील तो कर लिया गया है, किन्तु इस गाड़ी का उपयोग कब आरंभ किया जा सकेगा यह बात भाजपानीत नगर पालिका परिषद बताने की स्थिति में नज़र नहीं आ रही है।
उल्लेखनीय होगा कि शहर में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक चरम पर है। बारिश का मौसम जो श्वानों के लिये प्रजनन काल माना जाता है, इसमें श्वान बुरी तरह आक्रामक हो उठते हैं। गली मोहल्लों, चौक चौराहों पर आवारा कुत्तों की टोली आपस में लड़ती नज़र आ ही जाती हैं।
आवारा श्वानों के झुण्ड के पास से अगर कोई गुजर जाये तो ये उसे भी डराने से नहीं चूकते हैं ये। छोटे – छोटे बच्चों को भी ये श्वान दौड़ाते नज़र आ जाते हैं। कुछ साल पहले महज 18 माह के एक दुधमुँहे बच्चे को आवारा श्वानों ने अपना ग्रास बना लिया था। इसके बाद भी नगर पालिका परिषद नहीं चेती।
यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि इसके पहले राजेश त्रिवेदी के नेत्तृत्व वाली पालिका परिषद के कार्यकाल में भी एक कुत्ता गाड़ी का निर्माण करवाया गया था। उस कुत्ता गाड़ी का उपयोग पाँच साल में महज आधा दर्जन बार ही किया गया था। ट्रॉली में बनी यह कुत्ता गाड़ी बाद में फिल्टर प्लांट में खड़ी रही और खड़े-खड़े सड़ भी गयी।
नगर पालिका के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इसके बाद अस्तित्व में आयी भाजपा शासित नगर पालिका परिषद के द्वारा भी एक कुत्ता गाड़ी का निर्माण करवाया गया था। क्या इसकी निविदा जारी की गयी है? इसकी लागत क्या है? आदि प्रश्नों के जवाब शायद ही किसी के पास हों। इस बारे में सत्ताधारी भाजपा और विपक्ष में बैठी काँग्रेस भी जानने की इच्छुक नज़र नहीं आती है।
सूत्रों ने बताया कि पालिका के द्वारा रस्म अदायगी कि लिये शहर के कुछ इलाकों से आवारा श्वानों को पकड़ा अवश्य गया है। इन श्वानों को कण्डीपार, बींझावाड़ा, कोहका, राघादेही और लूघरवाड़ा आदि क्षेत्रों में छोड़ा गया है। ये आवारा श्वान अब शहर से सटे ग्रामों में धमाचौकड़ी मचा रहे हैं।
इसके साथ ही सूत्रों ने बताया कि श्वानों को शहरी या आबादी के आसपास छोड़े जाने के कारण नये क्षेत्रों में ये कोहराम मचा रहे हैं। इतना ही नहीं अनेक श्वान तो झुण्ड बनाकर वापस अपने पुराने ठौर पर भी लौट चुके हैं। नगर पालिका अध्यक्ष के रिहाईश वाले क्षेत्र में भी आवारा श्वानों की खासी तादाद देखी जा सकती है।
नवागत मुख्य नगर पालिका अधिकारी मुकेश श्रीवास्तव के द्वारा अब तक आवारा पशुओं, श्वानों, गधों और सूअरों को शहर से हटाने के लिये न तो अपील की गयी है और न ही किसी तरह की कार्यवाही को ही अंजाम दिया गया है, जिससे यही प्रतीत हो रह है कि नगर पालिका को आम जनता की किंचित मात्र भी परवाह नहीं रह गयी है।
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