नेताओं के कश्मीर दौरे से किसे फायदा?

 

 

(अजय सेतिया)

कश्मीर नीति पर कांग्रेस बंट चुकी है। अनेक नेता खुल कर 370 हटाए जाने के समर्थन में खड़े हो चुके हैं। कुछ नेताओं ने तो इसे इतिहास की गलती को सुधारा जाना तक कहा है। इसके बावजूद गांधी परिवार अभी भी कश्मीर को सिर्फ मुस्लिम दृष्टिकोण से ही देख रहा है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस के ही कुछ नेता विपक्ष को अपने साथ रखने के नाम पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को गुमराह कर रहे हैं। सच यह है कि कांग्रेस के हिन्दू नेता कश्मीर को कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं के नजरिए से नहीं देखते। अलबता कांग्रेस के हिन्दू नेताओं का मानना है कि नेहरु ने भी कश्मीर को मुस्लिम नजरिए से सोच कर भयंकर गलती की थी।

कांग्रेस के हिन्दू नेताओं से अकेले में बात करो तो वे साफ़ – साफ़ कहते हैं कि मोदी ने ठीक किया। सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस की लाईन को देखते हुए सिर्फ तरीके पर ऐतराज उठाते हैं द्य सत्तर साल से चलाई जा रही कांग्रेस की वह थ्योरी तो धराशाई हो गई है कि 370 हटाई गई तो देश में हिन्दू मुस्लिम विभाजन हो जाएगा और देश भर में सांप्रदायिक हिंसा होगी, ऐसा कुछ नहीं हुआ।

बेहतर होता अगर कांग्रेस जनभावनाओं को समझते हुए 370 हटाए जाने के शुरुआती विरोध के बाद चुप्पी साध कर अपनी गलती सुधारती। लेकिन गांधी परिवार अपने चंद मुस्लिम नेताओं के मक्क्डजाल से बाहर नहीं निकला है द्य इसलिए शनिवार को राहुल गांधी विपक्ष के उस प्रतिनिधी मंडल में शामिल थे जो मोदी की कश्मीर नीति के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवाने कश्मीर गया था द्य इस यात्रा के नाटक की रणनीति वामपंथी दलों के साथ मिल कर गुलाम नबी आज़ाद की बनाई हुई थी।

कांग्रेस की मौजूदा आत्मघाती कश्मीर नीति के लिए कांग्रेस के हिन्दू नेता गुलाम नबी आज़ाद को जिम्मेदार मानते हैं द्य पता नहीं कांग्रेस वामपंथियों के जाल में बार – बार कैसे फंस जाती है, जो शुरू से ही कश्मीर पर पाकिस्तान का हक मानते रहे हैं और जनमत संग्रह करवाने का समर्थन करते रहे हैं।हालांकि उन सभी को पता था कि कश्मीर प्रशासन उन्हें घाटी में घुसने नहीं देगा। राज्यपाल ने बाकायदा एक बयान जारी कर के विपक्ष को श्रीनगर नहीं आने की अपील जारी की थीद्य विपक्ष का मकसद सिर्फ मीडिया में अपनी उपस्थिति बनाना था। वे यह बताना चाहते थे कि उन्हें कश्मीर के मुसलमानों के मानवाधिकार की चिंता है। हालांकि शुरुआती डेढ़ घंटे की उपस्थिति के बाद ही विपक्ष की कश्मीर यात्रा मीडिया से गायब हो गई क्योंकि भाजपा के कद्दावर नेता अरुण जेटली का देहांत हो गय जो पिछले कई दिनों से एम्स में मौत से जूझ रहे थे। लेकिन इसी एक डेढ़ घंटे की वीडियो तस्वीरों ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाने का भरपूर मसाला उपलब्ध करवा दिया।

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में भी कश्मीर में मानवाधिकार हनन का मामला बनाया था लेकिन उसे चीन के अलावा किसी का समर्थन नहीं मिला द्य अब पाकिस्तान के पास भारत के विपक्षी नेताओं को कश्मीर में घुसने नहीं देने का प्रमाण मिल गया है, जो वह निश्चित रूप से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा।

(साई फीचर्स)