कराह रहे मरीज़ों की परवाह नहीं अस्पताल प्रशासन को!

 

 

महिला चिकित्सक नहीं मिलने पर महिला मरीज़ हो रहीं हलाकान!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। प्रदेश सरकार के द्वारा भले ही सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों को मरीज़ों को देखने का समय निर्धारित कर दिया गया हो पर जिला अस्पताल में मरीज़ों विशेषकर महिला मरीज़ों को चिकित्सकों के न मिलने पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल में मई माह के उपरांत कायाकल्प अभियान का आगाज़ किया गया है। लगभग साढ़े चार माह बीत जाने के बाद भी अस्पताल की न तो व्यवस्थाएं पटरी पर आ पायी हैं और न ही मरीज़ों को इसका ज्यादा लाभ मिल पा रहा है। ब्हाय रोगी प्रभाग में मरीज़ों को चिकित्सक न मिल पाने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है सो अलग!

बुधवार को ब्हाय रोगी प्रभाग के कक्ष क्रमांक 15 में उपचार कराने पहुँची महिला मरीज़ों को किसी भी महिला चिकित्सक के मौके पर न मिलने के कारण उपचार और जाँच के लिये घण्टों इंतजार करने पर मजबूर होना पड़ा। महिला मरीज़ों के अनुसार दो बजे से चार बजे तक इस कक्ष में एक भी महिला चिकित्सक उपलब्ध नहीं थीं।

जिला चिकित्सालय पहुँचने वालीं महिलाओं में शामिल सुनीता बाई, श्यामा, पुष्पा बाई, रेखा, गौरी आदि ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बुधवार को वे दोपहर दो बजे जाँच और उपचार कराने जिला अस्पताल के ब्हाय रोगी प्रभाग में पहुँचीं थीं। उन्होंने बताया कि वे चार बजे तक महिला चिकित्सक का इंतजार करती रहीं, किन्तु महिला चिकित्सक तब तक वहाँ नहीं पहुँचीं।

वहीं, कुछ अन्य मरीज़ों ने बताया कि चिकित्सकों के द्वारा सुबह के समय विलंब से आया जाता है और शाम चार बजे जाँच के लिये आने को कहा जाता है क्योंकि सुबह के समय चिकित्क अपने अपने वार्ड में भ्रमण पर होते हैं। शाम चार बजे के बाद भी चिकित्सक ओपीडी में नहीं पहुँचते हैं।

मरीज़ों के बीच चल रहीं चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाये तो अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों के द्वारा अपने घर या अन्य स्थानों पर मरीज़ों को सशुल्क उपचार के लिये बुलवाया जाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों से हर साल एक शपथ पत्र लिया जाता है कि वे अपने घर के अलावा अन्य स्थानों पर सशुल्क उपचार नहीं करेंगे। इसके बाद भी शहर में अनेक स्थानों पर चिकित्सकों के द्वारा बेखौफ होकर सशुल्क चिकित्सा की जा रही है।

वहीं, अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि अस्पताल में चल रहे कार्यों के लिये चिकित्सकों की उप समितियां बना दी गयी हैं। चिकित्सक अब पशोपेश में हैं कि वे मरीज़ों को देखें या अस्पताल में चल रहे कार्य आदि का निरीक्षण करें। इस सब काम के लिये अस्पताल प्रशासन में सीएस, आरएमओ और प्रशासक का पद बनाया हुआ है, पर इसके बाद भी चिकित्सकों को इस काम में लगाया जाना आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।