डेंगू उन्नमूलन या मुँह दिखायी!

 

 

(शरद खरे)

वैसे तो साल भर ही मच्छर जनित रोगों का खतरा बना रहता है किन्तु बारिश के मौसम में यह खतरा बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि लोगों की लापरवाही या असावधानी के चलते ही घरों के आस-पास पानी एकत्र हो जाता है एवं यह पानी ही मच्छरों के प्रजनन के लिये उपजाऊ माहौल तैयार करता है।

हर जिले में मच्छर जनित रोगों की रोकथाम के लिये जिला मलेरिया अधिकारी का कार्यालय होता है। सिवनी में भी यह अस्तित्व में है। इसका काम सिर्फ और सिर्फ मच्छरों का शमन ही है। यह अलहदा बात है कि इसके मुलाजिमों को दीगर बेगार के कामों में जबरन ही उलझाया जाता है।

इसके अलावा स्थानीय निकायों का भी यह दायित्व बनता है कि वे भी मच्छरों के प्रजनन के माहौल को नष्ट करें। अगर कहीं मच्छरों के प्रजनन का माहौल बनता दिखे तो वहाँ मच्छरों और उसके लार्वा के शमन के लिये दवाओं आदि का छिड़काव करें। साफ-सफाई की माकूल व्यवस्थाएं बनायें।

विडंबना ही कही जायेगी कि सिवनी में डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के लिये चलाये जाने वाले अभियान महज कागजों पर ही सीमित रह जाते हैं। इस तरह के अभियानों के लिये संबंधित विभागों के द्वारा सिर्फ और सिर्फ बैठकों के दौर ही जारी रहने की खबरें, मीडिया की सुर्खियां बटोर पाती हैं।

सिवनी शहर में नगर पालिका के स्वामित्व वाले बाग-बगीचों और चौक-चौराहों पर बने फव्वारों में पानी जमा है। तिकोना पार्क का पानी तो सड़ांध मार रहा है। इसमें काई जम चुकी है। शुक्रवारी के अहिंसा स्तंभ में भी पानी जमा है, जिसमें मच्छरों के लार्वा भी दिखायी दे रहे हैं। इसके बाद भी पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों को इसे साफ करवाने की फुर्सत नहीं है। क्या यहाँ जमा पानी में मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों के संवाहक मच्छर पैदा नहीं हो रहे होंगे?

बारिश में स्थान-स्थान पर जमा पानी, लोगों के घरों की छतों और आँगन में बेकार के कंटेनर्स में जमा पानी के लिये अब तक न तो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा और न ही नगर पालिका प्रशासन के द्वारा किसी तरह के अभियान का आगाज किया गया है। रोज ही अस्पताल में बीमारों की भीड़ देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति वाकई कितनी गंभीर है।

मलेरिया विभाग और नगर पालिका के पास न जाने कितने संसाधन हैं जिनका उपयोग कर ये विभाग मच्छरों की उत्पत्ति को रोक सकते हैं पर पता नहीं क्यों जिम्मेदार विभाग के आला अधिकारियों के द्वारा भी इस मामले में मौन ही साधे रखा गया है। मलेरिया विभाग भी इस मामले में मौन ही दिख रहा है।

हाल ही में जिला अस्पताल के कॉरीडोर में मोटर साईकिल पर फॉगिंग मशीन रखकर धुंआ किया गया। इसका एक वीडियो भी जमकर वायरल हुआ। कितने आश्चर्य की बात है कि अस्पताल में भर्त्ती मरीज़ों के एकदम पास से कैमिकल वाले धुंए को फैलाया गया। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी लापरवाही से कम नहीं है। देखा जाये तो अस्पताल परिसर में (न कि वार्ड के कॉरीडोर में) इस मशीन से धुंआ किया जाना चाहिये था। अस्पताल में पसरी गंदगी किसी से छुपी नहीं है। मच्छरों के प्रजनन के लिये यहाँ उपजाऊ माहौल है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

संवेदनशील जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह से जनापेक्षा है कि वे इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर पालिका प्रशासन और जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय को इस बात के लिये पाबंद करें कि शहर के अंदर लोगों के घरों में जमा पानी निकलवाया जाये एवं इसके लिये पहले समझाईश दी जाये, फिर चालानी कार्यवाही को अंजाम दिया जाये।

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