आराम करने का फैसला कर लिया था, लेकिन . . .

 

 

 

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)

छिंदवाडा (साई)। मैंने तय कर लिया था कि अब मैं आराम करूंगा, आगे काम नहीं करूंगा, जीवन के इस पड़ाव में आराम की सख्त जरूरत थी, लेकिन सीएम कमलनाथ और राज्यपाल ने जब नई जिम्मेदारी के बारे में कहा तो मुझसे मना करते नहीं रहा गया। अब हम सब मिलकर काम करेंगे और इस विश्वविद्यालय में जो भी फैसला होगा वो सबकि सहमति से लिया जाएगा।

यह कहना है गुरुवार को कुलपति की जिम्मेदारी संभालने वाले डॉ एमके श्रीवास्तव का। पदभार संभालते ही नए विश्वविद्यालय से संबंधित चुनौतियों को लेकर मैराथन बैठकों का दौर शुरू हो गया। कॉलेज स्टॉफ के अलावा निजी कॉलेज संचालकों के साथ भी बैठक हुई। पीजी कॉलेज के प्राचार्य श्री जायसवाल ने गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि आज के दौर में तकनीकि काफी सुलभ है, इसका शिक्षा के क्षेत्र में भी इस्तेमाल होना चाहिए। केंद्र सरकार की मंशा है कि विश्वविद्यालय में रिसर्च वर्क हो, सिर्फ पीएचडी कर लेना ही साबित नहीं करता कि कोई रिसर्च हुई है। अब हमारा प्रयास होगा कि छात्र ज्यादा से ज्यादा रिसर्च का कार्य करें। उदाहरण के तौर पर अगर केरल में सांप काटने की दवा बनती है, तो वहां उस प्रदेश के सांप के जहर की दवा बनती है, लेकिन उत्तर भारत में सांप की दूसरी प्रजाति है, ऐसे में सांप की दवा असर कम करती है। इसलिए रिसर्च की जरूरत है।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि जापान में कम शिक्षकों पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन हमारी शिक्षा पद्धति में गुरू शिक्षक के बीच भावनात्मक रिश्ता होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय के छात्र को अपने विश्विद्यालय का नाम लेने में संकोच हो तो इसमें छात्र नहीं बल्कि शिक्षकों की जिम्मेदारी बनती है। एक शिक्षक को अपने काम को पेशे की तरह नहीं लेना चाहिए। इस विश्वविद्यालय में जो भी फैसले होंगे उसमें सबकी सहभागिता होगी। भले ही देर हो गई है, लेकिन यकीन मानिए आगे कोई समस्या नहीं होगी। पहले यहां के छात्र दूसरे विश्वविद्यालय के भरोसे रहते थे, जिसके कारण उन्हें काफी परेशान होना पड़ता था।

गौरतलब है कि डॉ एमके श्रीवास्तव 1983 से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उनका जन्म गोरखपुर में हुआ था, जिसके बाद वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय समेत तमाम विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। श्री श्रीवास्तव की पहचान सहज और मिलनसार व्यक्तित्व के तौर पर है।

आते ही शुरू हुआ चुनौतियों का दौर

पीजी कॉलेज में कुलपति के लिए कमरा बनाया गया है। वहीं फिलहाल पीजी कॉलेज में ही विश्वविद्यालय की गतिविधियां होंगी। जिसमें 120 कॉलेज संबद्ध होंगे। इसके बाद सारना के पास 120 एकड़ कैम्पस में इमारत का काम चल रहा है। वहीं दूसरी ओर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी। निजी कॉलेज संचालकों ने मांग की कि कॉलेज के प्रथम द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों का एक इसी विश्वविद्यालय में दाखिला दिया जाए। जिस पर कुलपति ने विचार करने की बात कही है। इस विश्वविद्यालय से बैतूल, बालाघाट और सिवनी के कॉलेज भी संबद्ध्‌ होंगे।

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