मुख्यमंत्री बदलते ही डीजीपी बदलने की परंपरा गलत : नायडू

 

 

 

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)

नई दिल्‍ली (साई)। देश में पुलिस सुधार की मांग लंबे समय से उठती रही है। इस दिशा में कई बार कदम भी उठाए गए। कमीटियां बनीं, सिफारिशें आईं, लेकिन सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने की जहमत किसी सरकार ने नहीं उठाई।

अब उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने फिर से पुलिस सुधारों का जिक्र छेड़ दिया है। उन्होंने पुलिस सुधार दिवस पर आयोजित क्रायक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश का जिक्र किया जिसमें पुलिस को बाहरी दबावों से मुक्त रखे जाने की आवश्यकता बताई गई है। उपराष्ट्रपति ने पुलिस तंत्र की स्वायत्ता सुरक्षित रखने पर जोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को बाहरी प्रभावों से मुक्त रखने के लिए निर्देश जारी किए हैं। जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ-साथ (पुलिसिया तंत्र में) स्वायत्ता होनी चाहिए।नायडू ने कहा मुख्यंत्रियों के मनमुताबिक डीजीपी नियुक्त करने की परंपरा पर भी आपत्ति जाहिर की। उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि डीजीपी का कार्यकाल भी सुनिश्चित होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘राज्यों में मुख्यमंत्री बदले हैं तो डीजीपी भी बदले जाते हैं। ऐसा क्यों होना चाहिए? उनका कार्यकाल तय होना चाहिए।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष मई महीने में अपराध पर लगाम लगाने में तकनीक के इस्तेमाल, रिक्तियां भरने और पुलिस कर्मियों के कल्याण जैसे पुलिस सुधार को लागू करने में सफलता पर 10 राज्यों को प्रोत्साहन राशि के तौर पर प्रत्येक के लिए 7.69 करोड़ रुपये जारी किए थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया था कि भत्ते के लिए योग्य पाए गए राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश हैं।

आजादी के बाद से पुलिस सुधार तमाम सरकारों के अजेंडे में रहा है। इस क्षेत्र में प्रगति धीमी रही है जिस कारण बेहतर करने वाले राज्यों को भत्ता दिया गया है जिन 10 राज्यों को प्रोत्साहन राशि दी गयी है, उसने रिक्त पदों को भरने, उभरते मोबाइल और आईटी एप्लिकेशन के इस्तेमाल, ऑनलाइन शिकायत प्रणाली इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड रखने आदि पहल कर उल्लेखनीय प्रगति की है। आधुनिक हथियारों, उपकरणों, वाहनों, सीसीटीवी सर्विलांस की खरीद, डेटा सेंटर, कमान और नियंत्रण केंद्र आदि की स्थापना में भी इन राज्यों ने कदम उठाए हैं।

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