(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। साइबेरिया की एक खदान में एक हीरे के अंदर एक और हीरा मिला है। इतिहास में इस तरह का यह पहला वाकया है। रूस की खदान कंपनी अलरोसा पीजेएससी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अलरोसा ने एक बयान में कहा कि हीरा 80 करोड़ साल से ज्यादा पुराना हो सकता है। इसे रूस की पारंपरिक गुड़िया ‘मैट्रीओशका‘ जैसा कहा जा रहा है। उस गुड़िया में बड़ी गुड़िया के अंदर छोटी गुड़िया होती है।
मैट्रीओशका हीरे का वजन 0.62 कैरट है, जबकि इसके अंदर के पत्थर का वजन 0.02 कैरट है। अलरोसा के ‘रिसर्च ऐंड डिविलपमेंट जियोलॉजिकल एंटरप्राइज’ के उपनिदेशक ओलेग कोवलचुक ने कहा, ‘जहां तक हम जानते हैं वैश्विक हीरे के खनन के इतिहास में अभी तक इस तरह का हीरा नहीं मिला है, यह वास्तव में प्रकृति की एक अनूठी रचना है। आमतौर पर कुछ मिनरल्स कैविटी के बने बिना दूसरों द्वारा प्रस्थापित किए जाते हैं।’
हीरा साइबेरियाई क्षेत्र यकुशिया के न्युरबा खदान से निकला, लेकिन इसको याकुत्स्क डायमंड ट्रेड एंटरप्राइज ने छांटा, जिसने कीमती पत्थर की प्रकृति की खोज की और विश्लेषण के लिए रिसर्च ऐंड डिविलपमेंट जियोलॉजिकल एंटरप्राइज को दिया। वैज्ञानिकों ने एक्स-रे माइक्रोटोमोग्राफी के साथ स्पेक्ट्रोस्कोपी के कई अलग-अलग तरीकों का उपयोग करके पत्थर की जांच की। अलरोसा के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी की योजना आगे के विश्लेषण के लिए अमेरिका के जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट को मैट्रीओशका हीरा भेजने की है।
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