ऐसी क्या मजबूरी जो बार-बार बदल रहे एसआईटी प्रमुख

 

 

 

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)

इंदौर (साई)। हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि ऐसी क्या मजबूरी है कि हनीट्रैप मामले में गठित एसआईटी के प्रमुख को बारबार बदला जा रहा है।

कोर्ट ने कहा कि सरकार मामले में चलाई गई तमाम नोटशीट और दस्तावेज के साथ 21 अक्टूबर को स्टेटस रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने यह भी तय किया कि भविष्य में इस मामले में दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ होगी। हाई कोर्ट ने शासन से यह सवाल हनीट्रैप मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पूछा। याचिका दिग्विजयसिंह भंडारी ने वरिष्ठ वकील डॉ. मनोहरलाल दलाल और वकील लोकेंद्र जोशी के माध्यम से दायर की है। याचिका में कहा है कि हनीट्रैप मामला जनहित से जुड़ा है। सरकार इसकी जांच में लापरवाही बरत रही है।

एसआईटी का गठन तो कर दिया, लेकिन इसके प्रमुख को बार-बार बदला जा रहा है। अब तक तीन बार बदलाव हो चुका है। ऐसी स्थिति में आशंका है कि इसकी जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने का प्रयास हो रहा है। इस पर जस्टिस एससी शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला ने शासन को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह बताए कि किस आधार पर और किन कारणों से एसआईटी प्रमुख को बदला जा रहा है।

सुबह रिपोर्ट तलब की, शाम को बदल गए अधिकारी

हनीट्रैप मामले में पहले से ही एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में चल रही है। करीब सप्ताहभर पहले सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एसआईटी प्रमुख से स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा था। शुक्रवार को हुई सुनवाई में वकील दलाल ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने सुबह स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे और उसी दिन शाम को सरकार ने एसआईटी प्रमुख को ही बदल दिया। शासन के इस कृत्य से उसकी मंशा पर सवाल खड़ा हो रहा है। आशंका यह भी है कि इस मामले में हाई प्रोफाइल लोग जुड़े हैं जो जांच प्रभावित कर सकते हैं।

कोर्ट खुद संज्ञान लेकर दायर करे याचिका

वकील दलाल ने बताया कि शुक्रवार को हुई सुनवाई में उन्होंने न्याय दृष्टांत पेश करते हुए गुहार लगाई है कि इस मामले में कोर्ट खुद संज्ञान लेकर याचिका दायर करे और मामले में चल रही अन्य याचिकाओं को उसके साथ शामिल करे। कोर्ट ने इसे आंशिक रूप से स्वीकारते हुए तय किया कि हनीट्रैप मामले में दायर सभी जनहित याचिकाओं की सुनवाई आगे से एक साथ होगी।

वीडियो, लैपटॉप से हो सकती है छेड़छाड़

याचिका में मांग भी की गई है कि एसआईटी को आदेश दिया जाए कि वह इस मामले में जब्त मोबाइल, लैपटॉप, वीडियो, सीडी आदि की सूची कोर्ट में पेश करे क्योंकि इनके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है और इन्हें नष्ट करने का प्रयास भी हो सकता है।

कोर्ट की निगरानी में हो जांच

याचिका में इस पूरे मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग भी की गई। यह भी कहा है कि जांच कमेटी में प्रदेश के बाहर के किसी ऐसे अधिकारी को नियुक्त किया जाए जो डीआईजी या इससे ऊपर की रैंक का हो। मामले की सीबीआई जांच की मांग भी याचिका में की गई है।

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