ट्रैफिक जुर्माना और लाईसेंस दास्तां

 

 

(विवेक सक्सेना)

आजकल अखबारों से लेकर चेनलों तक में मोटर वाहन कानून तोड़ने पर जुर्माने में की गई बढ़ोतरी का मुद्दा छाया हुआ है। इसका समर्थन व विरोध दोनों हो रहे हैं। इन्हें लेकर तरह-तरह के कार्टून तक आ रहे हैं। यह भी पूछा जा रहा है कि जब सरकारें बिना गड्डे वाली सड़क, सही अवस्था में ट्रैफिक लाइट सरीखी आवश्यक सुविधा नहीं दे सकती है तो उसे ट्रैफिक कानून तोड़ने पर इतना ज्यादा जुर्माना करने का क्या अधिकार है?

शुरू से हम लोग ड्राइविंग लाइसेंस को बहुत गंभरीता से नहीं लेते थे। सच कहूं तो तब इक्का-दुक्का लोगों के पास ही दोपहिया वाहन जैसे स्कूटर या मोटर साईकिल हुआ करते थे। कार रखना तो बहुत बड़ी बात थी। जब दिल्ली आया तो एक परिचित ने मेरा दोपहिया वाहन का लाइसेंस बनवा कर मुझे दे दिया। इसके लिए मुझे यातायात विभाग के दफ्तर तक नहीं जाना पड़ा। एक बार ट्रैफिक पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। ट्रैफिक इस्पेक्टर ने मुझसे ड्राइविंग लाइसेंस मांगा तो मैंने पर्स से अपना कार्ड निकाल कर उसके हाथ में थमा दिया।

वे एक बुजुर्ग सफेद बालो व दाढ़ी वाले सरदार थे। उन्होंने मेरा प्रेस इंफॉर्मेशन का पहचान पत्र अपनी जेब में रखते हुए कहा कि मेरे बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं। मैं अपने अनुभव से यह बात दावे के साथ कह सकता हूं कि तुम्हारे पास या तो ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है अथवा वह नकली है। ऐसा करना कि रात को अपना ड्राइविंग लाइसेंस लेकर मेरे पास संसद मार्ग थाने में आ जाना मैं वहीं बैठता हूं। मुझे बहुत बुरा लगा कि उसने मेरे पत्रकार होते हुए भी मुझे बहुत अहमियत नहीं दी और मेरा कार्ड रख लिया।

शाम को मैं दफ्तर से मुक्त होकर उनसे मिलने गया। वहां पहुंचने पर एक पुलिस वाले ने बताया कि ट्रैफिक वाले थाने के पीछे स्थित भवन की दूसरी मंजिल पर बैठे हैं। जब मैं वहां पहुंचा तो वे बैठे हुए पी रहे थे। मुझे देखकर उन्होंने पूछा लाइसेंस ले आए। मैंने जब अपना लाइसेंस उनके सामने रखा तो वे हंसते हुए कहने लगे कि यह नकली है। नकली लाइसेंस रखना भी एक अपराध है। ऐसा करो कि तुम मुझे सौ रुपए जुर्माने के दे दो।

मैंने उन्हें 100 रुपए का नोट दिया और उन्होंने मेरा नाम चालान में भरकर मेरी रसीद काटते हुए मेरा पीआईबी का कार्ड व रसीद मुझे थमा दी और बोले कि तुम पत्रकार हो दारू तो जरूर पीते होंगे। मैं मुस्कुराने लगा उन्होंने पुलिस के कांस्टेबल से खाली गिलास लाने को कहा और उसके आने पर एक पैग बना कर मुझे थमाते हुए कहने लगे कि तुम्हे मेरे व्यवहार पर आश्चर्य होगा कि एक ओर तो मैं तुम्हारा चालान काट रहा हूं व दूसरी और तुम्हें दारू पिला रहा हूं।

मैं उनकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। वे कहने लगे तुम मेरे बेटे के बराबर हो व लाइसेंस के बिना गाड़ी चला कर गलत काम करते थे। क्या तुमने कभी सपने में भी सोचा है कि अगर भगवान न करे व तुम्हारी दुर्घटना में जान चली जाए या कोई वृद्ध ही वाहन की चपेट में आकर घायल हो जाए तो तुम्हारे घर वालों पर क्या गुजरेगी? तुम पत्रकार हो दूसरे पुलिस वाले तुम्हें छोड़ देते थे व तुमने अपना लाइसेंस नहीं बनवाया। मैं दावे के साथ कहता हूं कि मेरे द्वारा पकड़े जाने पर फाइन भरने के बाद तुम कल सबसे पहले जाकर अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाओगे। चूंकि तुमसे मुझे बात भी करना अच्छा लगा। इसलिए मैंने तुम्हे दोस्त के रूप में दारू पिलाई है।

सच कहता हूं कि मैंने अगले ही दिन अपना ड्राइविंग लाइसेंस बना लिया। यह बात तब कि है जब उसके 10 साल बाद एक जाड़े की रात को जबरदस्त कोहरे के कारण मेरा एक्सीडेंट हुआ तो बीमा कंपनी ने अपनी मनमानी करते हुए मेरा दावा ठुकरा दिया। जब मैं अपने बच्चों का लाइसेंस बनवाने के लिए तिलक मार्ग स्थित ट्रासपोर्ट अथॅरिटी पर गया तो वहां पर टेस्ट लेने वाले अधिवक्ता श्री चौधरी बहुत भले थे। उनके क्षेत्र में राष्ट्रपति से लेकर तमाम दूतावास तक आते थे। अतः रोज उनका प्रभावशाली लोगों से मिलना-जुलना होता था। उन्होंने बच्चों का टेस्ट लेना शुरू कर दिया और उनसे ट्रैफिक चिन्हों के बारे में पूछा। बच्चे एकाध सवाल का जवाब नहीं दे पाए तो उन्होंने उनसे सख्ती से बात करते हुए उन्हें फिर से याद करने को कहा।

उन्होंने मेरे लिए चाय मंगवाई और कहा कि आपको मेरी बात का थोड़ा बुरा जरूर लग रहा होगा। मैं इनका ड्राइविंग लाइसेंस तो बना दूंगा मगर मैं इन्हें इस बात का अहसास करवाना चाहता हूं कि यह पापा के कारण नहीं बनता है व इसे बनवाना कितना कठिन होता है। पिछले साल जब बेटा कनाडा गया तो उसे पता चला कि वहां ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में कितनी दिक्कते आती हैं।

ट्रैफिक उल्लंघन की नई दरों का जबरदस्त विरोध हो रहा है। जहां एक ओर दुर्घटना के शिकार हुए लोग इसका समर्थन कर रहे हैं। वहीं आम आदमी इनका विरोध करते हुए सोशल मीडिया पर कानून का उल्लंघन कर बिना हैलमेट व बिना नंबर प्लेट की गाड़ी चला रहे पुलिस वालों की तस्वीरे डाल रहे हैं। लोगों की नाराजगी को देख नरेंद्र मोदी के अपने राज्य गुजरात समेत उत्तराखंड ने इस बढ़ी राशि को लागू करने से इंकार करते हुए जुर्माने की राशि घटा दी है। वहीं कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, गोवा की सरकारें केंद्र सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध कर रही हैं।

इससे नरेंद्र मोदी सरकार की फजीहत हो रही है। वैसे ट्रैफिक नियम तोड़ने को लेकर एक घटना याद आ रही है। हम तब 10वी या 12वीं में पढ़ते थे तब अंग्रेजी में हमें रेफरेंस टू कांटेस्ट लिखना होता था। इसमें परीक्षा में दिए गए किसी अंग्रेजी के हिस्से का सरल भाषा में भावार्थ लिखना होता था। व इसकी शुरुआत कुछ इस तरह से होती थी कि श्दीज लाइंस हैव बीन टेकन फ्राम द … रिटन कार्ड…। एक बार हमारी परीक्षा हो रही थी व हमारा एक साथी बिना हैलमेट व लाइसेंस के स्कूल जा रहा था। रास्ते में लालबत्ती पर उसे ट्रैफिक पुलिस वाले ने पकड़कर लाइसेंस मांगा तो वह घबरा गया व उसने पाठ रटते हुए बोलना शुरू कर दिया कि दीज लाइंस हैव बीन टेकन फ्राम वगैरह वगैरह।

अंग्रेजी न जानने वाला पुलिस वाला उसकी धाराप्रवाह अंग्रेजी से घबरा गया और उंगली से जाने का इशारा करते हुए कहना लगा श्गो गोश्। उसने बाद में यह बात हम लोगों को बताई। हमारे एक परिचित की अंग्रेजी बहुत अच्छी थी। एक बार उन्हें ट्रैफिक पुलिस वालों ने पकड़ा और वे उन्हें अंग्रेजी में झाड़ने लगे। इस पर वहां खड़े पुलिस अधिकारी ने अपने साथियों से कहा कि इसे जीप में डाल कर थाने ले चलो वहां हम इसे हिंदी बोलना सिखाएंगे। जो भी हो और कुछ भी करो मगर नियम तो पुलिस ही लागू करेगी।

(साई फीचर्स)

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