श्रीराम के बताये मार्ग पर चलने से आयेगी समाज में समानता

 

(ब्यूरो कार्यालय)

मोहगाँव (साई)। बैनगंगा के तट पर मंशापूर्ण हनुमान घाट में भक्ति ज्ञान वैराग्य की गंगा बह रही है जिसमें भक्त डुबकी लगा रहे हैं। यहाँ जारी श्रीराम कथा में कथा वाचक बालव्यास दिव्यांशु महाराज ने श्रद्धालुजनों से कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन से जुड़े प्रसंग आज भी सामान्यजन के जीवन की जटिलताओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने मन से दूषित विचारों को त्याग कर प्रेम व करुणा को स्थान देना चाहिये। दूषित विचारों का विस्फोट बहुत भयानक होता है। त्रेता युग में एक मंथरा ने अपने दूषित विचारों से कैकयी को भ्रमित कर श्रीराम को वनवास दिलवाया था। उस युग की एक मंथरा ही मंथरा थी अब तो हर गाँव में कई मंथरा मिल जायेंगी।

उन्होंने कहा कि ऐसी नारी को अपने घर में कभी प्रवेश नहीं करने देना चाहिये। प्रेम के धरातल से राम राज्य का निर्माण किया जा सकता है। वहीं उन्होंने कहा कि जिसकी आँखों में क्रोध होता है उसके समीप होने पर भी भगवान के दर्शन नहीं होते हैं। श्रीराम कथा व्यक्ति को मर्यादापूर्वक जीवन जीने की कला सिखाती है।

भगवान श्रीराम के बताये मार्ग पर चलकर ही समाज में समानता का वातावरण पैदा होता है। श्रीरामायण में हरेक प्रसंग जीवन को नयी दिशा प्रदान करता है। हमें जीवन में रिश्तों की अहमियत का ज्ञान प्राप्त होता है। अपने बच्चों के भीतर ऐसी भावना पैदा करनी चाहिये ताकि वह धार्मिक प्रवृत्ति के साथ जुड़कर समाज की सेवा करें।

उन्होंने कहा कि कृष्णलीला हमारी आत्मा व राम कथा हमारे तन का श्रृंगार है। रामकथा का अनुसरण करना चाहिये। भगवान का अवतार राक्षसों का संहार करने के लिये ही नहीं हुआ था बल्कि अपने भक्तों को उनके प्रेम का फल प्रदान करने के लिये भी हुआ था। उनको दर्शन देना था, भगवान भाव के भूखे होते हैं जो प्रेम से ईश्वर को याद करता है ईश्वरी उसी के हो जाते हैं। श्रीराम का अवतार भी इस बात का द्योतक है।