नहीं रूक पा रहा ट्यूशन का व्यवसाय

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय में इन दिनों सरकारी और निजि शिक्षकों के द्वारा ट्यूशन का व्यवसाय जोरों पर किया जा रहा है। आलम यह है कि सरकारी और निजि विद्यालयों के शिक्षकों के द्वारा धड़ल्ले से ट्यूशन का कारोबार किया जा रहा है।

लोगों को आश्चर्य है कि इस बात की जानकारी शाला प्रमुखों को होने के बाद भी उनके द्वारा इस मामले में किसी तरह का कठोर कदम नहीं उठाया जा रहा है। पालकों की मानें तो शालाओं में अध्यापकों के द्वारा शैक्षणिक कार्य में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली जाती है। अक्सर ही शिक्षक मोबाईल पर सोशल मीडिया का आनंद उठाते देखे जा सकते हैं।

पालकों का कहना है कि जो विद्यार्थी ट्यूशन जाना नहीं चाहते इससे उनका नुकसान हो रहा है। ट्यूशन के व्यवसाय के चलते निजि शालाओं में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होती दिख रही है। ऊपरी तौर पर तो शाला प्रमुखों के द्वारा ट्यूशन नहीं लेने की बात कही जाती है किन्तु अघोषित तौर पर शाला प्रमुखों के द्वारा ट्यूशन लेने के लिये शिक्षकों को खुली छूट भी दी जा रही है।

उधर, एक निजि शाला के शिक्षक ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि वैसे तो शाला में विद्यार्थियों से मोटी फीस ली जाती है किन्तु शिक्षकों को मामूली पगार पर काम करने पर मजबूर होना पड़ रहा है जिसके चलते ट्यूशन ही उनके लिये आजीविका का साधन रह जाता है।

सरकारी शिक्षकों को निजि तौर पर ट्यूशन न पढ़ाने के लिये कई बार आदेश जारी किये जाने के बाद भी सरकारी शिक्षकों के द्वारा सरकारी रूक्कों की कतई परवाह न की जाकर खुले आम ट्यूशन पढ़ायी जा रही है। इस संबंध में काँग्रेस और भाजपा के छात्र संगठनों का मौन भी आश्चर्य से कम नहीं है। संवेदनशील जिला कलेक्टर गोपाल चंद्र डाड से इस संवेदनशील मामले में ध्यानाकर्षण की जनापेक्षा है।

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