महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजे ज्यादातर एग्जिट पोल जैसे नहीं रहे

 

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्‍ली (साई)। हरियाणा और महाराष्ट्र में ज्यादातर एग्जिट पोल में बीजेपी को बंपर बहुमत का अनुमान जताया दया था। महाराष्ट्र में कमोबेश नतीजे वैसे ही रहे, लेकिन हरियाणा में ऐसा नहीं हुआ। अलग-अलग एग्जिट पोल में बहुमत के साथ सीटों की संख्या के आंकड़े में बहुत फर्क था। ज्यादातर पोल में बीजेपी के सीटों को अधिक दिखाया गया था और विपक्ष की सीटों की संख्या काफी कम थी, लेकिन नतीजे ऐसे नहीं रहे।

एग्जिट पोल से उलट नतीजे आए हैं कई बार

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब एग्जिट पोल से उलट नतीजे आए हैं। एग्जिट पोल के गलत होने का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण 2004 के लोकसभा चुनाव हैं। उस वक्त सभी एग्जिट पोल में वाजपेयी की अगुआई वाली एनडीए सरकार को बहुमत दे रही थी, लेकिन नतीजे उससे उलट रहे। एग्जिट पोल से उलट नतीजों ने सबको हैरान कर दिया था।

एग्जिट पोल के सटीक नहीं होने के कई कारण

एग्जिट पोल के कई बार सटीक नहीं होने के कुछ कारण हैं। सबसे पहले तो इनका सैंपल साइज बहुत कम अमूमन (10,000 – 20,000) तक होता है। इतना छोटा सैंपल साइज मतदाताओं के असली समूह का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। इतने छोटे सैंपल साइज का नतीजा होता है कि एक छोटी से छोटी गलती या डेटा से छेड़छाड़ से भी नतीजों में बहुत बड़ा अंतर हो जाता है। दूसरी बड़ी परेशानी है कि इन एग्जिट पोल में पार्टीवार वोट प्रतिशत का अनुमान लगाया जाता है, शीट शेयर का नहीं। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में वोट शेयर के सीट शेयर में बदलने की प्रक्रिया बहुत उलझन भरी होती है। जिन सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला होता है, वहां यह फर्क और अधिक होता है।

एग्जिट पोल कब गलत हो सकते हैं

एग्जिट पोल के नतीजों से असली नतीजों के गलत होने की कुछ परिस्थितियां होती हैं। इनमें से कुछ हैं जैसे असमंजस में वोटरों का होना (किसे वोट देना है इसे लेकर आश्वस्त नहीं होना), गलत उत्तर देना (सवालों का सही जवाब नहीं देना), सैंपल साइज गलत होना या फिर सैंपल के चुनाव में गलती करना, या कभी-कभी डेटा फीड करते वक्त पूरी सतर्कता का नहीं बरतना।

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