16 साल पुराना दवा घोटाला, अब EOW ने शुरू की जांच

 

 

 

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)

भोपाल (साई)। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने 16 साल पहले हुई दवा सप्लाई में अनियमितताओं की जांच शुरू करते हुए कोलकाता की कंपनियों और भोपाल के तीन बैंकों को पत्र लिखे हैं। यह जांच करीब सात साल तक हुई दवा सप्लाई में कथित गड़बड़ी को लेकर की जा रही है।

वहीं, नगरीय विकास विभाग में प्रदेश के सात शहरों के स्मार्ट सिटी टेंडर में अनियमितताओं को लेकर आरंभ की गई जांच भोपाल स्मार्ट सिटी सीईओ दीपक सिंह के चुनाव ड्यूटी में प्रदेश के बाहर होने से थम गई है। इस मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल के खिलाफ ईओडब्ल्यू में शिकायत हुई थी जिसके आधार पर जांच शुरू हुई है।

जानकारी के मुताबिक 2003 से 2009-10 के बीच स्वास्थ्य विभाग में हुई दवा की सप्लाई की एकबार फिर ईओडब्ल्यू में जांच शुरू हुई है। इसमें तत्कालीन दवा सप्लायर अशोक नंदा और उनसे जुड़े स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों सहित अन्य लोग शामिल हैं। हालांकि इस मामले में पहले पद के दुरुपयोग और अन्य गड़बड़ियों को लेकर शिवराज सरकार के समय जांच हुई थी। सूत्रों के मुताबिक अब ईओडब्ल्यू ने दवा सप्लाई में गड़बड़ी की प्रारंभिक जांच शुरू की है।

बताया जा रहा है कि इस बार ईओडब्ल्यू की जांच के मुख्य बिंदु में दवा सप्लाई है। सूत्रों के मुताबिक यह जांच की जा रही है कि जांच की अवधि में कितनी दवाओं की सप्लाई हुई, किन-किन कंपनियों की दवाओं की सप्लाई की गई, किन संस्थाओं ने उन दवाओं को सप्लाई किया, ऑर्डर की गई दवाओं में से कितनी दवाएं आईं और कितनी दवाएं विभाग को नहीं मिली।

जिन दवाओं की प्रदेश को सप्लाई नहीं हुई, उनमें से कितने का भुगतान कर दिया गया। इन तथ्यों की जांच के लिए ईओडब्ल्यू ने कोलकाता की आठ कंपनियों को पत्र लिखकर इससे जुड़ी जानकारियां मांगी हैं। वहीं, भोपाल के श्री झरनेश्वर नागरिक बैंक, महानगर बैंक और पंजाब नेश्ानल बैंक को पत्र लिखकर दवा सप्लायरों से जुड़े लोगों के लेन-देन का रिकॉर्ड मांगा गया है।

चुनाव ड्यूटी से लौटने पर आगे बढ़ेगी जांच

प्रदेश में सात शहरों के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों में अनियमितता की शिकायत की जांच के लिए गुरुवार को भोपाल स्मार्ट सिटी पर ईओडब्ल्यू की टीम पहुंची थी लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। बताया जाता है कि स्मार्ट सिटी भोपाल के सीईओ दीपक सिंह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ड्यूटी के लिए गए हैं। उनकी गैर मौजूदगी में स्मार्ट सिटी के अधिकारियों व कर्मचारियों ने दस्तावेजों को उपलब्ध कराने में असमर्थता जताई थी।

गौरतलब है कि प्रदेश के सातों स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों का एक ही टेंडर हुआ था और उस समय नगरीय विकास विभाग के प्रमुख विवेक अग्रवाल थे। यह टेंडर जिस प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) कंपनी को दिया गया था, उससे अग्रवाल के बेटे भी जुड़े थे। इसी आधार पर अनियमितता की ईओडब्ल्यू में शिकायत की गई थी।

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