नेपाल के विश्वविद्यालयों में कुलपति सहित अन्य कई उच्चस्तरीय शैक्षणिक पद या तो खाली हो चुके हैं या निकट भविष्य में खाली होने वाले हैं। इन पदों पर नियुक्तियों का इतिहास देखें, तो इनके लिए उम्मीदवारों का चयन आमतौर पर उनकी शिक्षा, पृष्ठभूमि और अनुभव की बजाय उनके राजनीतिक झुकाव के आधार पर किया जाता है। नेपाल के विश्वविद्यालयों में बहुत अधिक अनुभवी, सक्षम और छात्रों को प्रेरित करने में सक्षम प्रतिभाशाली उम्मीदवारों के लिए रास्ता बनाने के लिए पुराने ढर्रे को बदलने की जरूरत है।
उन्हें राजनीतिक दलों की कठपुतलियों के रूप में नहीं देखना चाहिए। नियुक्तियां राजनीतिक निष्ठा के आधार पर नहीं होनी चाहिए। नेपाल के विश्वविद्यालय यूरोपीय शिक्षा प्रणाली के अनुरूप ही चलाए जाते हैं। इस प्रणाली में चांसलर आमतौर पर विश्वविद्यालयों का औपचारिक प्रमुख होता है, जबकि वाइस चांसलर विश्वविद्यालय का कार्यकारी प्रबंधन प्रमुख होता है। वाइस चांसलर इस सीनेट के भी मुख्य कार्यकारी अधिकारी होते हैं। सीनेट के फैसलों को लागू करने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।
विश्वविद्यालय के प्रबंधन के साथ ही शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए भी वाइस चांसलर ही जिम्मेदार होते हैं। यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हर कोई नहीं निभा सकता। इस पद के लिए बौद्धिक, भावनात्मक सहनशक्ति, इच्छा और विभिन्न हितधारकों के जबरदस्त दबावों का सामना करने और कुछ घटकों के बीच अलोकप्रिय होने के लिए भी तैयार रहना पड़ता है। ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं, जिससे अलोकप्रिय होने का खतरा रहता है।
इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार वही हैं, जो अपने संस्थानों के विकास के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। कुलपति खोज समिति को आवश्यक और विशिष्ट योग्यता वाले उम्मीदवारों की सूची के साथ सामने आना चाहिए। खोज प्रक्रिया को निष्पक्ष और गैर-राजनीतिक रखने के लिए खोज समिति को नियुक्ति प्रक्रिया की आवश्यकताओं और दिशा-निर्देशों को सार्वजनिक रूप से जाहिर करना चाहिए। कुलपति या वाइस चांसलर के चयन को पूरी तरह से पारदर्शी बनाना चाहिए। (द हिमालयन टाइम्स, नेपाल से साभार)
(साई फीचर्स)

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