इस दुनिया में वह कमरा

 

 

(प्रणव प्रियदर्शी)

कमरे में खास विचारधारा से जुड़े करीब दर्जन भर लोग बैठे थे। वे सब अपने घर-परिवार और दोस्त रिश्तेदारों की दुनिया में हाशिये पर थे। यह थोड़े अचरज की मगर गजब खूबसूरत बात थी कि हाशिये पर डाल दिए गए इन लोगों के ख्यालों की दुनिया ने अपनी नजरों से इन्हें गिरा चुके लोगों के दुख-दर्द, आशंकाओं-असुरक्षाओं और मान-सम्मान को भी अपनी मुख्य चिंता में शामिल रखा था। मगर उन लोगों के लिए इनकी चिंता का तब तक कोई मोल नहीं जब तक ये खुद को उनकी नजरों में थोड़ा ऊपर नहीं उठाते। इस कमरे में इनके इकट्ठा होने का मकसद भी यही था कि अपने आसपास के लोगों की नजरों में थोड़ा ऊपर उठने की कोई राह निकाली जाए। यह राह आखिर क्या हो सकती है? जवाबों की कमी नहीं थी पर उन जवाबों को खंगालने से पहले ये उन कारणों पर सोच-विचार कर रहे थे जो इन्हें नजरों से गिराए जाने के लिए जिम्मेदार थे।

घटनाएं, पात्र और संवाद चाहे अलग-अलग हों, पर सबकी कहानियों का निचोड़ लगभग समान था। इन सबकी गलती यह थी कि अपनों के सुख-दुख की चिंता में इन्होंने अपने जैसों को भी शामिल कर लिया था। इससे इनकी चिंता का दायरा इतना बढ़ गया कि इनके अपने उपेक्षित महसूस करने लगे। चिंता का दायरा आपकी बढ़ती चेतना के साथ बढ़ तो जाता है, लेकिन अगर यह सचमुच बढ़ गया और आपकी संवेदनाओं को भी इसने विस्तृत कर दिया तो फिर इसे घटाया नहीं जा सकता। सब इसी बात के मारे थे, लेकिन अपनी मजबूरियों के बीच इन्हें अपनों की विवशता का भी ध्यान था। इनमें से कोई भी उन्हें दोषी नहीं मान रहा था। इनका कहना था, अगर आप किसी छोटे बच्चे को गोद में उठाकर प्यार करने लग जाएं तो पास में बैठा उससे थोड़ा बड़ा बच्चा उपेक्षित महसूस करने लगता है। उसकी मनःस्थिति को समझना और उसे संतुष्ट करना आप ही की जिम्मेदारी होती है।

दूसरी बात यह कि हर व्यक्ति की अपनी कसौटियां होती हैं। आप इन्हें स्वीकार कर लें तो उसकी नजरों में सही बनना आसान होता है लेकिन अगर उन्हें बदलने की जिद लिए बैठे हों तो आपका काम टेढ़ा है। फिर आपको लंबे समय तक उस व्यक्ति की कसौटियों पर गलत कहलाने के लिए तैयार रहना होगा। वरना इस टेढ़े रास्ते को पहले ही खुदा हाफिज कह दीजिए। और आप सही कहें या गलत, पर इस बात के लिए, यानी इस कठिन राह से हटने के लिए उस कमरे में बैठा कोई भी शख्स तैयार नहीं था। यह जरूर है कि वह कमरा छोटा था। इस समाज, इस दुनिया के मुकाबले बहुत-बहुत छोटा।

(साई फीचर्स)