अप्रैल में मध्यप्रदेश से कांग्रेस की राज्यसभा में बढ़ेगी एक सीट

 

 

 

 

(रवींद्र कैलासिया)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश में अगले साल अप्रैल में राज्यसभा की रिक्त हो रही तीन सीटों पर चुनाव में भाजपा को एक सीट का नुकसान होने की आशंका बन रही है, जबकि कांग्रेस को एक सीट का फायदा हो सकता है।

संख्या के नजरिए से विधानसभा के मौजूदा परिदृश्य में चुनाव होने की स्थिति में दो सीटों के लिए आवश्यक मतों के बराबर कांग्रेस सरकार के पास विधायकों का समर्थन है। छह अन्य विधायक भी अभी सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। कांग्रेस को मिलने वाली दो सीटों के लिए अभी मौजूदा राज्यसभा सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अन्य दिग्गज नेताओं के नाम दावेदारों के तौर पर उभरने लगे हैं।

मप्र से राज्यसभा के 11 सदस्य हैं। इनमें कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा व पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल नौ अप्रैल 2019 तक है। रिक्त होने वाली तीन सीटों में से कांग्रेस और भाजपा के एक-एक प्रत्याशी की जीत की संभावना सौ फीसदी है, जबकि तीसरे सदस्य के मामले में हाल फिलहाल कांग्रेस का पलड़ा भारी है। निर्वाचन के लिए कम से कम 58 विधायकों के वोटों की जरूरत है। यानी कांग्रेस और भाजपा अपने एक-एक उम्मीदवार को राज्यसभा में आसानी से पहुंचाने की हैसियत रखते हैं। तीसरे प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस की राह भाजपा के मुकाबले आसान है।

भाजपा के मैदान में आने पर चुनाव की संभावना

भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए जीत का आंकड़ा नहीं होने के बाद चुनाव करवाया था। ऐसी परिस्थिति फिर बनने पर तीसरे राज्यसभा सदस्य के लिए भाजपा प्रत्याशी उतारती है तो चुनाव होगा। मगर, कांग्रेस विधायकों के अपने पहले प्रत्याशी को वोट देने और विधानसभा को अलग करने के बाद भी पार्टी के 56 विधायक शेष बचते हैं। इनके अलावा सरकार में शामिल निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल सहित यह संख्या 57 हो जाती है। अन्य तीनों निर्दलीय व दो बसपा और एक सपा विधायक भी कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। इनको मिला लिया जाए तो यह आंकड़ा 63 पहुंच जाता है। 108 विधायकों के भाजपा विधायक दल में प्रहलाद लोधी की सदस्यता पर अभी संशय की स्थिति बनी हुई है। यदि लोधी की सदस्यता बहाल हो जाती है, तब भी राज्यसभा के एक प्रत्याशी को वोट देने के बाद भाजपा के पास केवल 50 वोट ही बचते हैं, इसलिए वे अगर अपना प्रत्याशी खड़ा करते हैं तो हार की संभावना है।

राज्यसभा टिकट के लिए जोड़-तोड़

कांग्रेस के दो नेता अप्रैल में राज्यसभा का टिकट पाएंगे, जिसके लिए कुछ दिग्गज नेताओं की नजरें अभी से उस पर टिक गई हैं। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस समय काफी सक्रिय हैं, लेकिन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में अब उनका वैसा दबदबा नहीं रहा, जैसा पहले था। सूत्र बताते हैं कि उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्यसभा में उन्हें फिर से भेजे जाने की संभावना कम है, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ उनके लिए कुछ प्रयास कर सकते हैं। वैसे मुख्यमंत्री की पहली पसंद पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना हैं, जिन्होंने कमलनाथ के लिए विधानसभा सीट छोड़ी थी। राज्यसभा जाने वाले दूसरे प्रमुख दावेदार पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं, जो राज्यसभा पहुंचकर अपनी आवाज को संसद में उठाने की कोशिश में हैं।

इन नेताओं के अलावा प्रदेश के कुछ अन्य दिग्गज नेता पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह के नाम भी चर्चा में हैं। अजय सिंह का नाम पीसीसी के नए अध्यक्ष के लिए चलता रहा है तो पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनाव लड़ने का प्रतिफल दिया जा सकता है।