ज्योतिष भाग्य विधाता नहीं बल्कि पथ प्रदर्शक

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। ज्योतिष एक विज्ञान है, जो आकाशीय गणना, ग्रह नक्षत्रों पर आधारित है। ग्रह, नक्षत्र विज्ञान के कुछ फॉर्मूले के आधार पर भविष्य में, ग्रहों का आंकलन कर, घटने वाली घटनाओं के लिये भविष्य कथन किया जाता है। घटना किस तरह की होगी व उससे कितना लाभ या नुकसान होगा यह गणना की सटीकता पर निर्भर करता है।

ज्योतिष की जानकार आरजू विश्वकर्मा ने ज्योतिष के संबंध में अनेक भ्रांतियों पर से पर्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि जिस प्रकार सभी मनुष्य आम जन साधारण का जन्म, मृत्यु निश्चित है, व पूर्व जन्मों के पाप, पुण्य के आधार पर जीवन में सुख दुःख निश्चित है तो फिर उसी मनुष्य जाति के वो लोग जो ज्योतिष का कार्य कर आम लोगों को शास्त्रों में वर्णित उपाय बताते हैं उनका भी अच्छा या बुरा समय होना क्यों विधि के विधान मंे नहीं।

प्रश्न : जब हर बात निश्चित है तो उपाय क्यों? उपायों से क्या होगा? बेवकूफ बनाने के लिये उपाय बताये जाते हैं?

उत्तर : विधि का विधान निश्चित है, भगवान राम हो या कृष्ण, रावण या राजा हरिश्चंद्र, इस मृत्यु लोक में आकर सबको कर्मों के आधार पर सुख  दुःख, कष्ट प्राप्त हुआ है। श्री राम को शनि की साढ़े साती में वन-वन भटकना पड़ा था। सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र पर चोरी का इल्ज़ाम लगा था। इस तरह के अनेक उदाहरण हैं।

प्रश्न : तो उपाय क्या करते हैं?

उत्तर : यदि पूर्व में आप उपाय कर लेते हैं तो सर्वप्रथम आपमंे सहनशीलता बढ़ेगी। आप जीवन में पा रहे कष्ट दुःख संघर्षों से लड़ सकेंगे। कष्ट कम हो जायेगा, नये रास्ते मिलेंगे, लेकिन आप कहें कि आपके जीवन में कष्ट ही खत्म हो जाये या समय बदल जाये तो ऐसा नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि अगर दुर्घटना तय है तो अपको बड़ी क्षति की बजाय छोटी क्षति होगी। ऐसा नहीं कि दुर्घटना कारित हो ही नहीं। ज्योतिष का कार्य करने वालों को भी ग्रहों की स्थिति, लाभ और पीड़ा का सामना करना पड़ता है।

कुतर्क :  आप तो ज्योतिषी हैं, आप को तो सब पता होता है, क्या कुछ होने वाला है, तो आप उपाय कर आपने भाग्य को क्यों नहीं बदल लेते?

उत्तर : ज्योतिषी भाग्य को पढ़ सकता है, भाग्य नहीं बदल सकता। यदि भाग्य बदल सकता तो वह खुद सर्वप्रथम स्वयं का भाग्य बदलता। अपनी मर्जी से ग्रहों को कुण्डली में शुभ स्थान में विराजित करता।। यदि बुरा समय आयेगा, तो उसको भी बुरे समय के कष्ट झेलने होंगे। इसे हम यूँ समझें कि डॉक्टर को शरीर की सभी बीमारियों की दवा पता होती है, तो उसे तो कोई बीमारी होनी ही नहीं चाहिये, बल्कि दवाईयां लेने से उसकी मौत भी नहीं होनी चाहिये, लेकिन ऐसा होता तो नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि सब कुछ तय है, इसमें ज्योतिष या ज्योतिषी की आलोचना करना व्यर्थ का तर्क है।

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