नवजात एवं छोटे बच्चे- कमजोर प्रतिरक्षा-तंत्र के कारण, सर्दी-खांसी का बहुत जल्दीि शिकार हो जाते हैं। इस तरह से अधिकतर नवजात शिशु, अपने जीवन के प्रथम वर्ष में ही कई बार इस समस्या से दो-चार होना पड़ता हैं। लेकिन क्याी आप जानते हैं कि नवजात के प्रथम छह महीने के दौरान श्वसन तंत्र में संक्रमण जैसे सर्दी-खांसी, फ्लू, टॉसिल, कफ वाली खांसी और निमोनिया के होने से बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। यह जानकारी एक नए शोध से मिली है।
इस शोध के निष्कर्षों में कहा गया है कि बच्चों के शुरूआती छह महीने उसके शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के लिए अहम होते हैं, जो टाइप 1 डायबिटीज (टीआईडी) जैसे रोगों से लड़ता है। शोधकतार्ओं के अनुसार, जिन बच्चों में जन्म से 2, 9 महीने के दौरान श्वसन तंत्र में इंफेक्श।न होता है, उनमें जन्म से लेकर तीन से पांच, नौ महीनों के बीच श्वसन तंत्र के शिकार बच्चों के मुकाबले टाइप 1 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है। यह अध्ययन जेएएमए पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इसी उम्र में अगर बच्चा किसी प्रकार के श्वसन तंत्र के इंफेक्शिन से प्रभावित नहीं है, तो उसके टाइप 1 डायबिटीज होने की संभावना कम हो जाती है। शोधकतार्ओं में से एक जर्मनी के हेल्महोल्ट्ज जेंट्रम मंचेन के अनुसार, हमारे निष्कर्षाे से पता चलता है कि बच्चों में जन्म के पहले छह महीनों में श्वसन तंत्र में इंफेक्शेन से बच्चे में टाइप 1 डायबिटीज विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। नवजात बच्चों में वयस्कों के मुकाबले श्वसन तंत्र के इंफेक्शान (जिनमें सर्दी-खांसी, फ्लू, टॉसिलाइटिस, कफ वाली सर्दी और निमोनिया शामिल है) का खतरा अधिक होता है, क्योंकि उनका प्रतिरक्षण तंत्र विकसित नहीं होता है।
(साई फीचर्स)

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