लोग और सुरक्षा बल

 

पुलिस के भावी आयुक्त क्रिस टेंग पिंग-केउंग ने वह कर दिखाया, जो वर्तमान आयुक्त स्टेफन लो वाइ-चुंग ने नहीं किया था। क्रिस टेंग हांगकांग के विभिन्न स्थानों पर उमडे़ प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अपने जवानों का नेतृत्व करने खुद मैदान में उतर आए। टेंग के नाटकीय ढंग से हस्तक्षेप के लिए उतरने पर उनके सहयोगी अधिकारियों ने खुशी जाहिर की है, लेकिन पुलिस के अत्यधिक इस्तेमाल की आलोचना भी हो रही है।

पहली नजर में देखें, तो टेंग ने खुद को एक ऐसे नायक के रूप में स्थापित कर लिया है, जो अपने जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ सकता है। चीन के इतिहास में ऐसे योद्धा नायकों-सम्राटों की कमी नहीं है। टेंग की वजह से हांगकांग में जवानों का मनोबल बढ़ा है। टेंग ने अपनी एक मजबूत छवि भले ही बनाई हो, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि अगर जरूरत पड़ी, तो वह शांति से काम नहीं लेंगे? आज हांगकांग को सामान्य स्थिति में देखना हर किसी की इच्छा है, लेकिन किसी को भी विश्वास नहीं होता कि ऐसा जल्दी हो सकेगा।

अशांति के कारण पुलिस पर विश्वसनीयता का संकट सबसे बड़ा है। पांच महीने से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शन के कारण बना यह संकट पुलिस पर भारी पड़ रहा है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी दैनिक प्रेस वार्ता बुलाकर पुलिसिया बर्बरता की आलोचनाओं को खारिज करना जारी रख सकते हैं, लेकिन वे सार्वजनिक मानस में बनी पुलिस की छवि को मिटा नहीं सकते।

संभव है, टेंग को जनता के साथ सुरक्षा बल के संबंधों को बहाल करने के लिए अपनी कड़़क छवि को उदार बनाने के लिए मजबूर किया जाएगा। वैसे जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि ऐसा कोई भी प्रयास कठिन होगा। समय के साथ हांगकांग में प्रदर्शनकारियों की हिंसा तेज हो गई है, क्योंकि पुलिस की शक्तियों को जनता हिंसक व अपमानजनक मानती है। आम लोग प्रदर्शनकारियों की निंदा में हिचकते हैं। पुलिस द्वारा मानवाधिकारों के कथित हनन की जांच के निष्कर्षों को सार्वजनिक करना होगा। आने वाले दिनों में पुलिस के भावी आयुक्त को राजनीतिक कौशल की परीक्षा से भी गुजरना पड़ सकता है। (द स्टैंडर्ड, हांगकांग से साभार) 

(साई फीचर्स)