(शरद खरे)
शहर में चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के प्रथम चरण को बुधवार को विराम दे दिया गया है। आठ दिन लगातार चले इस अभियान को जनता का पूरा – पूरा समर्थन मिला। इस अभियान के चलते सरकारी खबरों को मीडिया के जरिये लोगों तक पहुँचाने वाले जनसंपर्क विभाग की चुप्पी लोगों को खली। इससे आधिकारिक वक्तव्य आदि लोगों तक नहीं पहुँच सके।
इसके अलावा आठ दिनों तक सत्ताधारी काँग्रेस के जिला और नगर संगठन ने इस अभियान से अपने आप को दूर ही रखा, जिसकी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया लोगों के बीच नहीं है। वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के जिला और नगर अध्यक्षों के द्वारा जिलाधिकारी से मिलकर बात की, जिससे जनता के बीच भाजपा की साख अगर बढ़ी हो तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इस अभियान में शहर के डूण्डा सिवनी और भैरोगंज इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन दोनों ही स्थानों पर तोड़े गये कच्चे और पक्के निर्माणों को देखकर हर कोई दातों तले उंगली दबा रहा था, कि सरकारी भूमि पर इस कदर अतिक्रमण कर भवनों या प्रतिष्ठानों का निर्माण कैसे कर लिया गया!
इस पूरे अभियान में एक बात और निकलकर सामने आयी है, वह यह कि डूण्डा सिवनी क्षेत्र में तुलसी मेडिकल स्टोर को पूरी तरह नेस्तनाबूत कर दिया गया। यह मेडिकल स्टोर भी अतिक्रमण की जद में बताया जा रहा था। यक्ष प्रश्न यही खड़ा है कि आखिर एक मेडिकल स्टोर को बिना भौतिक सत्यापन के खोले जाने की अनुज्ञा किस अधिकारी ने जारी कर दी! इसके साथ ही साथ समय-समय पर होने वाले निरीक्षणों में क्या स्वास्थ्य विभाग के किसी भी अधिकारी कर्मचारी के द्वारा यह देखने का प्रयास नहीं किया गया कि जिस स्थान पर यह चल रहा है वह स्थान वैधानिक रूप से सही है अथवा नहीं!
डूण्डा सिवनी एक समय में ग्राम पंचायत का अंग था। अब यह नगर पालिका के कबीर वार्ड में शामिल हो चुका है। जाहिर है नगर पालिका के पास निज़ि, सरकारी या नज़ूल की जमीनों के नक्शे होंगे। इस वार्ड में जितने अतिक्रमणों को तोड़ा गया है उन पर इसके पहले कार्यवाही क्यों नहीं की गयी यह बात भी अभी तक अनसुलझी पहली ही बनी हुई है।
देखा जाये तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अधीन काम करने वाले फूड एण्ड ड्रग्स विभाग को उन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा की जाना चाहिये, जिनके कार्यकाल में अतिक्रमण की जद में आने वाले इस मेडिकल स्टोर को आरंभ कराने के लिये अनुज्ञा जारी की गयी थी। इसके बाद समय-समय पर निरीक्षण करने वाले स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका परिषद के जिम्मेदारों को भी इस कार्यवाही की जद में लाया जाना चाहिये।
अब जबकि सारी स्थितियां परिस्थितियां आईने की तरह साफ नज़र आ रही हैं तब जिले के विधायकों और सांसदों से उम्मीद की जा सकती है कि वे भी विधान सभा और लोकसभा जैसे मंचों पर इस बात को रेखांकित करें ताकि अतिक्रमण के लिये जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही होकर यह नज़ीर बने ताकि भविष्य में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी इस तरह की लापरवाही करने के पहले सौ मर्तबा विचार अवश्य करे। इस मामले में संवेदनशील जिलाधिकारी प्रवीण सिंह से भी अपेक्षा है कि वे भी अपने स्तर पर कार्यवाही की अनुशंसा अवश्य करें।

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