भला हो बारिश का जिसने शहरवासियों को राहत पहुँचायी!

 

सिवनी में हाल ही में हुई बारिश ने नगर पालिका सहित जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली की भी जैसे पोल खोल के रख दी है। इस स्तंभ के माध्यम से मैं इसी संबंध में अपनी बात रखना चाहता हूँ।

सिवनी शहर में चंद दिनों पहले अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया जिसने जमकर वाहवाही भी इसलिये लूटी क्योंकि लंबे समय से इस तरह की कार्यवाही की अपेक्षा की जा रही थी लेकिन इसे प्रशासकों में इच्छाशक्ति का अभाव ही कहा जायेगा कि उनके द्वारा पूर्व में ऐसा कदम उठाने की जहमत ही नहीं उठायी गयी।

जिला प्रशासन ने लोगों के इंतजार को विराम देते हुए अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया और जोर शोर से चलाया जिसमें किसी रसूखदार को भी नहीं बख्शा गया। लोग इस कार्यवाही से खुश थे लेकिन उनकी ये खुशी तब धूमिल पड़ने लगी जब अतिक्रमणों के ढहाये गये मलबे, लोगों की परेशानियों का कारण बनने लगे।

शायद प्रशासन के द्वारा इस बात का आंकलन नहीं किया गया था कि इस अभियान से निकला मलबा किस हद तक लोगों को परेशान करके रख देगा। नगर पालिका की निष्क्रियता के चलते कई लोगों ने स्वयं ही मलबे को ठिकाना लगाया तो जिन लोगों के लिये यह असंभव था उन्होंने उस मलबे को वैसा ही पड़ा रहने दिया। इसके चलते संपूर्ण शहर धूल से पट गया था।

ये तो भला हो उन बादलों का जो अपने साथ पानी लेकर सिवनी के आसमान पर आये और उन्होंने बरसना आरंभ कर दिया। इस पानी के कारण लोगों को उस धूल से राहत मिली जिस धूल के कारण वे बीमारियों की जद में आते जा रहे थे। धूल से राहत तो बारिश ने दिलवा दी लेकिन फिर कीचड़ की समस्या उत्पन्न हो गयी।

बारिश थमने के बाद इसी कीचड़ को धूल में तब्दील होने में देर नहीं लगेगी। कुल मिलाकर अतिक्रमण विरोधी अभियान को विराम दिये जाने के बाद प्रशासन के ढीले पोले रवैये ने लोगों की परेशानियों का बढ़ा दिया है। अपेक्षा की जा रही है कि प्रशासन के द्वारा नागरिकों को धूल और कीचड़ की स्थिति से शीघ्र ही राहत दिलवायी जायेगी।

यूसुफ मुन्ना