हीरो बनने से पहले विक्की कौशल को खुद को लेकर होता था ये संदेह

 

(ब्‍यूरो कार्यालय)
मुंबई (साई)। विक्की कौशल खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि करियर के शुरुआती दौर में ही उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिल गया। उनकी झोली में इस वक्त कई बड़े बजट की फिल्में हैं। पेश हैं विक्की से एक दिलचस्प बातचीत के कुछ अंश

विक्की कौशल के लिए साल 2019 किसी सपने से कम नहीं रहा। फिल्म उरी : द सर्जिकल स्ट्राइकजैसी फिल्म के साथ उनके साल की शुरुआत हुई। इस फिल्म ने 200 करोड़ की ताबड़तोड़ कमाई की। इसके बाद अगस्त में उनकी इसी फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने की घोषणा हुई।

वह कहते हैं, ‘इस साल ऐसा बहुत कुछ हुआ, जिसकी मैंने कल्पना तक नहीं की थी। यह बेहद खूबसूरत रहा। उरी को जैसी प्रतिक्रियाएं मिलीं, वे किसी को भी उत्साह से भर देने के लिए काफी हैं। बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों से भी ज्यादा मैं उस प्यार से खुश हुआ, जो दर्शकों ने इस फिल्म को दिया। मेरे जैसे एक्टर के लिए यह एक शानदार एहसास था।

इस फिल्म को मिलने वाली प्रतिक्रियाओं को लेकर विक्की बेहद खुश हैं। वह कहते हैं, ‘उरी एक बेहद खास फिल्म है। इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना मेरे परिवार और इस फिल्म की टीम के लिए एक खुशी और हैरतभरा एहसास था। हर एक्टर का सपना होता है कि एक न एक दिन वह राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। मुझे यह बहुत जल्दी मिल गया, इसके लिए मैं खुद को खुशकिस्मत समझता हूं।

साल 2019 विक्की के लिए इसलिए भी खास है, क्योंकि इस साल उन्होंने कई बड़़े बजट की फिल्में साइन की हैं। वह बताते हैं, ‘मैंने शूजित सरकार की फिल्म सरदार ऊधम सिंहकी शूटिंग शुरू कर दी है। इसके अलावा मैं तख्तऔर फील्ड मार्शल सैम मनेकशॉ पर बनी मेघना गुलजार की फिल्म में भी काम कर रहा हूं। यह साल मेरे लिए शुक्रगुजार होने का दौर लेकर आया था। मैं अभिभूत हूं।

 ‘राजी’, ‘मनमर्जियांऔर संजूजैसी फिल्मों में काम कर चुके एक्टर विक्की इस बात को लेकर खुश हैं कि हिंदी फिल्म के हीरो की छवि तेजी से बदल रही है। वह कहते हैं, ‘जब मैं कॉलेज में था, तब मैंने यह तय किया था कि मैं इंजीनियर नहीं, अभिनेता बनूंगा, तो मेरे मन में खुद को लेकर कुछ शंकाएं आई थीं। मुझे लगा कि मैं हीरो जैसा नहीं दिखता। उस वक्त एक्टर नहीं, सिर्फ हीरो हुआ करते थे। ऐसा माना जाता था कि सिर्फ चॉकलेटी चेहरे वाले लड़कों को ही हीरो बनने की कोशिश करनी चाहिए। और मैं एक साधारण-सा दिखने वाला दुबला-पतला लड़का था।विक्की का मानना है कि यह कलाकारों के लिए स्वर्णिम दौर है। वह कहते हैं, ‘अब हीरो की कोई एक परिभाषा नहीं रही। अब हीरो लायक चेहरेजैसा कुछ नहीं रहा। आज की फिल्में किसी भी एक्टर को सबकी नजर में हीरो बना सकती हैं।