गुमराह कर रहे हैं सांसद बिसेन : काँग्रेस

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। नागरिकता संशोधन कानून सहित अन्य मामलों में भाजपा के बालाघाट सांसद डॉ.ढाल सिंह बिसेन लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उक्ताशय की बात जिला काँग्रेस प्रवक्ता राजिक अकील द्वारा जारी विज्ञप्ति में कही गयी है।

विज्ञप्ति के अनुसार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी एवं नागरिक संशोधन बिल (सीएबी) को लेकर भारतीय जनता पार्टी केन्द्र से लेकर जिला स्तर तक लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है। जिला भाजपा द्वारा सर्किट हाउस सिवनी पत्रकार वार्ता में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर स्थानीय सांसद ने कहा कि हम सीएए लागू कर, गांधी व नेहरू की नीतियों पर काम कर रहे है, सरासर झूठ बोला। गांधी एवं नेहरू की नीतियों का बात – बात पर विरोध करने वाले, आज जब इस कानून को लेकर देश में विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं तो भाजपा के लोग गांधी, नेहरू के नाम का सहारा ले रहें हैं।

विज्ञप्ति के अनुसार इस मामले में काँग्रेस का बड़ा स्पष्ट रूख रहा है चाहे वह लोकसभा, राज्य सभा, काँग्रेस शासित राज्यों में राष्ट्रीय स्तर पर काँग्रेस पार्टी द्वारा 23 दिसंबर को दिल्ली में एवं प्रदेश स्तर पर 25 दिसंबर को भोपाल में विरोध प्रदर्शन कर इस काले कानून का कड़ा विरोध किया है।

विज्ञप्ति के अनुसार सांसद का यह आरोप कि काँग्रेस इस मामले में चुप थी, निराधार है? गांधी, नेहरू ने हमेशा भारत में कौमी एकता और धर्म निरपेक्षता पर जोर दिया है जिस तरह सीएए को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण के दौरान हिन्दू, सिख, बौद्ध, क्रिशचन, फारसी, को भारत की नागरिकता दी जायेगी और भारत में वर्षांे से निवासरत मुस्लिम समुदाय को जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंगलादेश से आये उन्हें भारत की नागरिकता नही दी जायेगी। गृहमंत्री का यह कथन देश की धर्म निरपेक्षता को आघात पहुँचाता है और इससे स्पष्ट हो जाता है कि उनको गांधी और नेहरू की नीतियों से कोई सरोकार नहीं हैं।

जिला काँग्रेस महामंत्री एवं प्रवक्ता राजिक अकील ने आगे कहा कि एनआरसी और डिटेंशन सेन्टर को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह एक मत नहीं है। भाजपा के दोनों नेता इस मामले में अलग – अलग बयानबाजी कर रहे हैं। नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषणों में कहा कि देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) हम नहीं ला रहे हैं, देश में डिटेंशन सेन्टर नहीं है जबकि अमित शाह का बयान इसके उलट था, एनआरसी सिर्फ असम प्रदेश के लिये था जिसमें 19 लाख लोग शरणार्थी थे। इसके लिये मोदी सरकार ने लगभग 16 सौ करोड़ रू. खर्च किये जिसमें देश के लिये कारगिल युद्ध में हिस्सा लिये, सैनिक सनाउल्ला का नाम एनआरसी में नाम शामिल नहीं था। उन्हें 12 दिन डिटेंशन सेन्टर में रहना पड़ा, असम हाई कोर्ट से उनकी जमानत हुई।

उन्होंने कहा कि इसी तरह पूर्व राष्ट्रपति के परिवार का नाम भी एनआरसी में शामिल नहीं किया गया। जब ऐसे ख्याति प्राप्त लोगों का नाम एनआरसी में शामिल नहीं किया गया जिनके पूर्वज 25 मार्च 1971 के पूर्व से भारत में निवास करते आ रहे हैं, फिर ऐसे में उन गरीब और भूमि हीनों का क्या होगा, जिनके पास किसी प्रकार की कोई भूमि नहीं है। 25 मार्च 1971 के पूर्व के दस्तावेज नहीं हैं, क्योंकि देश के गृहमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड, पेन कार्ड ये सब दस्तावेज से एनआरसी साबित नहीं करते।

भारत देश की अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में है, युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है, निज़ि और सरकारी उपक्रमों से रोजगार घटते जा रहे हैं। सरकारी उपक्रमों को सरकार बेचने का काम कर रही है। महंगाई और भ्रष्टाचार चरम पर हैं, अनेक बैंक डूबने की कगार पर हैं ऐसी स्थिति में एनआरसी, सीएबी, सीएए, एनपीआर लाने का कोई औचित्य नही था।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि देश के प्रमुख मुद्दांे से ध्यान हटाने के लिये भाजपा यह सब ला रही है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ काँग्रेस ही इन मुद्दों का विरोध कर रही हो, भाजपा के सहयोगी संगठन अकाली दल, जनता दल यूनाईटेड, राम विलास पासवान और कई राज्यों में खुद भाजपा के लोग एवं बुद्धीजीवी वर्ग, छात्र संगठन इन सब बातों का विरोध कर रहे है।

जारी की गयी विज्ञप्ति में कहा गया है कि काँग्रेस ने हमेशा देश के प्रत्येक नागरिकों को एक जुट रखने का काम किया है वही भाजपा हमेशा देश के नागरिकों को आपस में लड़ाने के लिये इस तरह के मुद्दे लाती है। देश के लोगों को समझना होगा कि यह देश हित में नहीं है।