अन्य कार्यालयों के बिजली बिल का भुगतान क्यों करता रहा अस्पताल प्रशासन!

 

0 घरों के बिजली बिल का भोगमान . . . 02

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। जिला चिकित्सालय परिसर में अनेकों कार्यालयों के साथ ही साथ सरकारी कर्मचारियों के लिये रिहाईश हेतु भवन भी बने हुए हैं। जिला अस्पताल प्रशासन के द्वारा महीनों तक इन कार्यालयों और यहाँ रह रहे कर्मचारियों के बिजली के देयकों का भुगतान कैसे किया जाता रहा, यह शोध का ही विषय है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला चिकित्सालय परिसर में सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक कार्यालय के अधीन जिला अस्पताल का संचालन होता है।

इसके अलावा इस परिसर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय, नर्सिग प्रशिक्षण केंद्र, क्षय रोग प्रभाग, समाज कल्याण विभाग का कार्यालय, एड्स प्रभाग, जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय, जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अधिकारी जैसे अनेक कार्यालयों का संचालन किया जाता है।

सूत्रों ने बताया कि इन सभी कार्यालयों में आहरण संवितरण (डीडीओ) अधिकार वाले अधिकारियों की तैनाती होती है। इन समस्त कार्यालयों में कर्मचारियों के वेतन के अलावा अन्य मदों में भी पर्याप्त आवंटन स्थापना मद में किया जाता है। इस लिहाज़ से इन कार्यालयों के बिजली के देयकों का भुगतान भी इन्हीं कार्यालयों को किया जाना चाहिये।

सूत्रों की मानें तो इसके अलावा अस्पताल परिसर में एक दर्जन से ज्यादा आवास भी हैं, जिनमें स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी निवास करते हैं। इस परिसर में आवासीय प्रशिक्षण के लिये आईपीपी 06 भी बना हुआ है, जो लंबे समय से प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का आवास बना हुआ है।

सूत्रों ने बताया कि जिला अस्पताल में बार – बार बिजली की आपूर्ति बाधित न हो इसलिये यहाँ का कनेक्शन एक पृथक ट्रांसफॉर्मर के जरिये किया गया है। इसके बाद संभवतः पूरे परिसर को एक ही मीटर से जोड़ दिया गया था। इस स्थिति के चलते एक ही बिजली का बिल पूरे परिसर का आने लगा था।

सूत्रों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि महीनों से इन सभी कार्यालयों और आवासों के बिजली के बिल का भुगतान इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक कार्यालय से किस तरह किया जाता रहा है। यह तो ठीक है पर विभिन्न कार्यालयों के हाकिमों को भी इस बात पर आश्चर्य नहीं हुआ कि हर माह आने वाला उनके कार्यालय का बिजली का बिल आखिर आ क्यों नहीं रहा है!

सूत्रों ने यह भी कहा कि अब ऑडिट के दौरान यह बताना बेहद ही दुष्कर होगा कि अस्पताल में बिजली का बिल अचानक ही कई गुना कैसे बढ़ गया! जब पहली बार ही बढ़ा हुआ देयक आया था, उस समय ही अगर अस्पताल प्रशासन के द्वारा बिजली विभाग से दरयाफ्त कर लिया जाता तो इस तरह की गफलत होने से बच जाती।

सूत्रों ने बताया कि यहाँ के रहवासियों के बीच अनबन के चलते ही यह बात उजागर हो पायी है। अब इसकी जाँच करवायी जाकर प्रत्येक कार्यालय और यहाँ निवासरत लोगों से अब तक अस्पताल के द्वारा अदा कराये गये बिजली के बिल की भरपाई की कार्यवाही की जाना चाहिये।