(शरद खरे)
जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद पर तीन बार से भाजपा काबिज रही है। इस पालिका का कार्यकाल 10 जनवरी को पूरा हो जायेगा। यह साल भाजपा शासित नगर पालिका की इस परिषद का अंतिम साल था, इस लिहाज़ से उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा का जिला और नगर संगठन नगर पालिका की बेढंगी चाल को सुधारने के लिये दिशा निर्देश जारी कर नागरिकों को राहत दिलायेगा, किन्तु संगठन ने भी सुध लेना उचित नहीं समझा।
वहीं दूसरी ओर विपक्ष में बैठी काँग्रेस के नगर और जिला संगठन के द्वारा भी अपने दल के पार्षदों को इस बावत पाबंद शायद नहीं किया गया कि जनता के हित में काम किये जायें। नगर पालिका की बेढंगी चाल को सुधारने के लिये कवायद की जाकर काँग्रेस के द्वारा आने वाले पालिका चुनावों में जनता के बीच भाजपा की परिषद की नाकामियों को उजागर किया जा सकता था। हो सकता है, चुनावों के दौरान काँग्रेस यह करे भी, किन्तु जनता ने अगर काँग्रेस के नेताओं से यह पूछ लिया कि पाँच सालों तक काँग्रेस के पार्षदों ने परिषद में जनता के हितों की अनदेखी पर मौन क्यों अख्तियार किये रखा, तो निश्चित तौर पर काँग्रेस के नेताओं के पास जवाब शायद न ही हों।
बहरहाल, हाल ही में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद का प्रदर्शन पिछले साल से भी खराब रहा है। इसके लिये निश्चित तौर पर चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ ही साथ पालिका में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी ही मूल रूप से जवाबदेह माने जा सकते हैं। पिछले साल नगर पालिका सिवनी की नेशनल रैंकिंग 134 थी जो इस साल 140वें स्थान पर जा पहुँची है।
नगर पालिका के द्वारा रोज ही घरों घर वाहन भेजकर कचरा संग्रहित किया जा रहा है। इसके एवज़ में एक रूपये रोज अर्थात 365 रूपये हर साल के हिसाब से हर घर से पालिका के द्वारा वसूली भी की जा रही है। क्या कारण है कि इतने जतन के बाद भी नगर पालिका परिषद को स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछले साल के मुकाबले नीचे वाली पायदान हासिल हुई है! जाहिर है कहीं न कहीं चूक अवश्य हुई है।
शहर में जहाँ देखो वहाँ गंदगी पसरी हुई है। नगर पालिका में कर्मचारी वर्षों से जमे हुए हैं, कुछ कर्मचारियों के तबादले हुए भी तो उन्होंने या तो निरस्त करवा लिये या फिर आसपास करवाकर वापस सिवनी ही पदस्थापना करवा ली गयी। पिछले वर्ष दिसंबर में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद लगा था कि पालिका में वर्षों से पदस्थ कर्मचारियों के तबादले किये जाकर रिक्त पदों पर नियुक्तियों के मार्ग प्रशस्त होंगे पर ऐसा होता दिखा नहीं।
कहा जा रहा है कि नगर पालिका के चुनावों में अभी काफी समय है। इस परिषद के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद नगर पालिका में अध्यक्ष के स्थान पर प्रशासक को तैनात किया जायेगा। उम्मीद की जानी चाहिये कि किसी तेज तर्रार अधिकारी को प्रशासक के रूप में पदस्थ किया जाकर नगर पालिका की चाल को पटरी पर लाया जाकर लोगों को राहत अवश्य प्रदाय की जायेगी।

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