आपत्ति करने पर लड़ पड़ते हैं अटेंडर
(ब्यूरो कार्यालय)
जबलपुर (साई)। लम्बी दूरी की ट्रेनों के एसी कोच में सफर करने वाले यात्रियों को फटे और बदबूदार बेडरोल दिए जा रहे हैं। टॉवल और नेपकिन भी फटे होते हैं। यदि कोई यात्री आपत्ति करता है तो अटेंडर्स अनसुना कर झिडक़ देते हैं।
जबलपुर से शुरू और टर्मिनेट होने वाली ट्रेनों में प्रतिदिन 10-15 हजार यात्री एसी कोच में सफर करते हैं। लेकिन, ठेकेदारों और अटेंडर्स की मनमानी के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं जनरल कोचों में तो हालात इतने बद्तर हैं कि वहां कोच से लेकर बाथरूम तक की सफाई नहीं होती।
ये है स्थिति
– 16 ट्रेनों में चढ़ते हैं बेडरोल
– 24 घंटे में आठ से नौ हजार बेडरोल
– 15 हजार यात्री प्रतिदिन एसी में करते हैं सफर
जानकारी के अनुसार ट्रेनों में दोनों ट्रिप के लिए बेडरोल चढ़ाए जाते हैं, लेकिन कोच अटेंडर पहली ट्रिप में जो बेडरोल यात्रियों को देते हैं, उन्हीं का उपयोग दूसरी ट्रिप में करते हैं।
टॉवल मांगने पर बनाते हैं बहाना
बेडरोल में दो चादर, एक तकिया, एक कम्बल और एक टॉवल देने का नियम है। लेकिन, अटेंडर यात्रियों को टॉवल नहीं देते। यदि यात्री टॉवल की मांग करते हैं तो बहाने बनाए जाते हैं।
बेडरोल का हाल
– चादर-कम्बलों से आती है दुर्गंध
– चादरों और तकिया कवर पर लगा होता है दाग
– टॉवल और नैपकिन फटे हुए
धुलाई में भी लापरवाही
सूत्रों की मानें तो चादर, पिलो कवर और कम्बल की धुलाई के लिए अच्छे डिटर्जेंट का उपयोग किया जाना चाहिए। लेकिन ठेकेदार सामान्य डिटर्जेंट का उपयोग करते हैं। कई बार उपयोग किए गए डिटर्जेंट में बेडरोल की धुलाई कर दी जाती है। इससे चादर-कम्बलों पर लगे दाग साफ नहीं होते।
सफाई की नहीं होती जांच
सूत्रों के अनुसार चादर, पिलो कवर और टॉवल की सफाई और सफेदी का प्रतिशत 70 से अधिक होना चाहिए। लेकिन, जबलपुर से जो बेडरोल ट्रेनों में चढ़ाए जाते हैं, उनकी सफाई और सफेदी का प्रतिशत 40 से 50 प्रतिशत ही होता है। इसकी जांच के लिए मशीन भी है, लेकिन उसका उपयोग नहीं किया जाता।
जनरल कोच में नहीं होती सफाई
ट्रेन शुरू होने से पहले जनरल कोच की सफाई सफाई की जाती है। इसके बाद सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता। पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों के जनरल कोच में भी कचरा फैला रहता है। जनरल कोच के बाथबेसिन और टॉयलेट में गंदगी का अंबार लगा रहता है। जनरल कोचों के टॉयलेट को भी मैंटेनेंस के वक्त खानापूर्ति के लिए साफ किया जाता है। कई बार तो इनमें पानी तक नहीं रहता।

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.