भूरिया ने अध्यक्ष को बताया मनुवादी मानसिकता का
(ब्यूरो कार्यालय)
भोपाल (साई)। राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा में भील समुदाय को लेकर पूछे सवाल का मुद्दा शुक्रवार को विधानसभा में उठा।
कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने इस मुद्दे को सदन के भीतर उठाया और बाहर कहा कि आदिवासियों को बदनाम करने का काम मनुवादी मानसिकता के लोगों ने यह कृत्य किया है। राज्य लोकसेवा आयोग में अध्यक्ष भास्कर चौबे इसी मानसिकता के हैं।सचिव रेणु पंत के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
भाजपा विधायक राम दांगोरे ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जिस तरह भू-माफिया के ऊपर कार्रवाई करने कोई नोटिस नहीं दिया और अतिक्रमण तोड़ दिया वैसी ही कार्रवाई भील समुदाय के खिलाफ काम करने वालों पर की जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती। उधर, मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जांच के आदेश दे दिए हैं।
विधानसभा में शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि आदिवासियों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस तरह से प्रश्न पूछकर भील समुदाय को अनैतिक काम करने वाला बताया गया, वो आदिवासियों के प्रति एक विचारधारा विशेष की सोच का बताता है।
इसको लेकर विपक्ष के सभी सदस्य खड़े हो गए और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, रामेश्वर शर्मा, मंत्री डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ, ओमकार सिंह मरकाम के बीच जमकर वाद-विवाद हुआ, जिसे अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने विलोपित करा दिया।
सदन के बाहर मीडिया से चर्चा में कांतिलाल भूरिया ने कहा कि मनुवादी मानसिकता के लोगों ने यह काम किया है। प्रश्न में आदिवासियों को अपराधी प्रवृत्ति, आलसी और शराबी बता दिया। इंदौर में एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज हो गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को तत्काल जांच के आदेश देने के लिए धन्यवाद भी दिया। उधर, मुख्यमंत्री ने कहा कि जो हुआ है वो बड़ी गलती है। इसमें पक्ष-विपक्ष नहीं इंसाफ की बात है। जांच के आदेश दे दिए हैं जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। आदिवासियों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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