‘130 करोड़ भारतीय हिंदू’ पर कायम भागवत

 

कहा- सरकार का रिमोट संघ के पास नहीं

(ब्‍यूरो कार्यालय)
मेरठ (साई)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत 130 करोड़ भारतीयों को हिंदू कहने वाले अपने बयान पर कायम हैं। भागवत मुरादाबाद में अपने चार दिवसीय प्रवास के दौरान मकर संक्रांति उत्सव में बोल रहे थे।

इस दौरान उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि सरकार का रिमोट संघ के पास है। भागवत ने कहा कि सरकार से प्रेम और विश्वास का रिश्ता है। इस दौरान सरसंघचालक ने कहा कि आरएसएस का राजनीति से कोई संबंध नहीं है और संगठन 130 करोड़ भारतीयों के लिए काम करता है।

संघ प्रमुख ने आरएसएस के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘देश में 130 करोड़ जनसंख्या है। ये सभी भारतीय हिंदू हैं। उनके सभी के पूर्वज एक हैं। समाज में बदलाव के लिए अच्छा काम करने की सलाह स्वयंसेवकों को दी। अच्छा काम किया तो धन्यवाद और सम्मान मिलेगा। इसलिए अच्छा काम करो। हर वर्ग को अपनाने की कोशिश करो। उनको दिल से जोड़ो। जो लोग समाज को तोड़ने और बरगलाने की बात कर रहे हैं उनके मंसूबे पूरे नहीं होने चाहिए।

भागवत ने राजनीति से संघ के रिश्ते को खारिज करते हुए कहा, ‘चुनाव का हमारे लिए कोई मतलब नहीं है। हम पिछले 60 साल से देश की संस्कृति को बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं। सरकार का रिमोट संघ के पास नहीं है। हमारा सरकार से प्रेम और विश्वास का रिश्ता है।

संघ के सांगठनिक कौशल का जिक्र करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘1925 में जब संघ की स्थापना हुई थी तो चंद लोग काम करते थे। लेकिन राष्ट्र निर्माण और समर्पण की भावना की बदौलत आज देश में यह ऐसे संगठन के रूप में स्थापित हो चुका है, जिसकी 1.3 लाख शाखाएं हैं।

आरएसएस चीफ भागवत ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य बड़ा है। इसलिए पूर्णकालिक स्वयंसेवकों की तादाद बढ़ाने की जररूत है। जिन लोगों ने अपना गृहस्थ जीवन जी लिया है, उनको पूर्णकालिक स्वयंसेवक बनने के लिए आगे आना चाहिए। जितने अधिक कार्यकर्ता हमारे पास होंगे, उतना ही अपने मिशन के तहत काम करना आसान हो जाएगा।

सरसंघचालक ने कहा, ‘हमारा भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना है। हम इसी संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। भारत में दुनिया अपार संभावनाएं देख रही है। संघ में जातिवाद और छुआछूत को नहीं माना जाता। यह पहली बार हो रहा है, जब छुआछूत और भेदभाव को मिटाने के लिए हम काम कर रहे हैं। स्वयंसेवक समाज में फैले छुआछूत, ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने का काम कर रहे हैं। किसी भी प्रांत की कोई भाषा, कोई संस्कृति हो लेकिन धर्म एक हिंदू है। हमारा अध्यात्म ही हमारी पहचान है। दुनिया कहती है, विविधता में एकता है। हम कहते हैं एकता में विविधता है।‘