पुराने गेहूं, चावल से भरे शहर के वेयर हाउस

 

धान रखने जगह नहीं

(ब्यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। जिले में खरीदे गए धान का भंडारण बड़ी चुनौती बन गई है। जितनी भंडारण क्षमता है, उससे अधिक धान खरीदी केंद्रों के जरिए खरीदा जा चुका है। अब जिला विपणन संघ ने मुख्यालय से आगे की व्यवस्था के लिए राय मशविरा मांगा है।

इस बीच किसानों को धान के मूल्य का भुगतान अभी तेज नहीं हो पाया है। ईपीओ जरूर जारी हो गए हैं लेकिन बैंक खातों में राशि पहुंचने में दो से तीन दिन का समय लग सकता है। जिले में धान की खरीदी 25 जनवरी तक होनी है।

4 लाख मीट्रिक टन खरीदी का था अनुमान

मौसम अनुकूल होने के कारण इस वर्ष जिले में करीब 4 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान लगाया गया था। जिस प्रकार से धान की आवक खरीदी केंद्रों पर हो रही है उससे यह आंकड़ा 3 लाख 80 हजार मीट्रिक टन तक सिमटकर रह सकता है। अभी की स्थिति में 3 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। वहीं भंडारण 2 लाख 35 हजार मीट्रिक टन का हो गया है। यदि गोदामों में धान के भंडारण की क्षमता की बात की जाए तो वह करीब 2.70 लाख मीट्रिक टन है। दो या चार दिनों की खरीदी में गोदाम फुल हो जाएंगे, फिर भंडारण की समस्या बढ़ सकती है।

एफसीआई के उठाव पर नजर

जिले में धान की खरीदी जिला विपणन संघ के माध्यम से की जा रही है। अभी जो गोदाम हैं उनसे एफसीआइ पुराने गेहूं एवं चावल की निकासी कर रहा है। यदि यह तेज नहीं हुई तो फिर गोदाम खाली नहीं होंगे। बताया जाता है कि हाल में 5 हजार मीट्रिक टन अनाज गोदामों से खाली हुआ है। इससे थोड़ी राहत मिली। पूर्व में जिले में ओपन कैप के निर्माण की योजना थी लेकिन ठेकेदार ने काम बंद कर दिया है। इससे मुसीबत बढ़ गई है।

यह है स्थिति

जिले में अब तक 3.50 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी।

31 हजार से ज्यादा किसान कर चुके हैं उपज का विक्रय।

2 लाख 35 हजार मीट्रिक टन का धान का हुआ परिवहन।

गोदामों की भंडारण क्षमता 2 लाख 70 हजार मीट्रिक टन।

अब तक खरीदे गए धान का कुल मुल्य 540 करोड़ रुपए।

188 करोड़ रुपए का भुगतान। 350 करोड़ रुपए के बने ईपीओ।