बदबूदार-फटे-पुराने गद्दों पर रात गुजारना मजबूरी

 

(ब्यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। कड़ाके की ठंड में भी बेघर, गरीब, मजदूर और भिक्षाटन कर जीवन यापन करने वाले सैकड़ों लोग शहर के फुटपाथों पर खुले आसमान के नीचे रात बिताने को विवश हैं। इनके पास न बिछौना है न ही ओढऩे के लिए गर्म कपड़े।

नगर निगम के रैनबसेरे भी इनके किसी काम नहीं आ रहे हैं। रैनबसेरों में उनसे आधार कार्ड मांगा जाता है। आधार कार्ड नहीं होने पर रात बिताने के लिए जगह नहीं मिलती। रात गुजारने के लिए बीस-पच्चीस रुपए भी लिए जा रहे हैं। इसलिए बेघरबार जान जोखिम में डालकर फुटपाथ को अपना डेरा बनाए हुए हैं।

कलेक्टर, निगमायुक्त का आदेश बेअसर

कलेक्टर और निगमायुक्त ने भी सभी सम्भागीय अधिकारियों को हिदायत दी है कि कोई भी व्यक्तिखुले में सोता न दिखे। अधिकारी रात में भ्रमण करें और खुले में सो रहे लोगों को रैनबसेरा पहुंचाएं। इन आदेश-निर्देशों के बाद भी नगर निगम के अधिकारी गरीबों को रैनबसेरा पहुंचाना तो दूर रात में निकलने की जहमत तक नहीं उठा रहे। जबकि शहर के हर फुटपाथ, मेट्रो बस स्टॉप में गरीब, लाचार ठंड में ठिठुर रहे हैं। इसके बावजूद किसी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।

मैले-फटे गद्दे 25 रुपए चार्ज

पुराना बस स्टैंड सहित अन्य रैन बसेरों की पत्रिकाने टोह ली तो पता चला कि यहां फटे और मैले गद्दे सोने को दिए जा रहे हैं। रात में रुकने वालों से 25 रुपए भी लिए जा

रहे हैं। बरामदे में नि:शुल्क सोने की सुविधा के नाम पर खाली पलंग रखे हैं।

यहां हैं रैनबसेरा  : मेडिकल कॉलेज, पुराना बस स्टैंड, आम्बेडकर चौक, दमोहनाका, गोकुलदास धर्मशाला- 2, ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, आईएसबीटी, एल्गिन अस्पताल, रांझी, अधारताल, पिसनहारी की मढिय़ा।

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