आवारा जानवरों से मुक्ति कब!

 

(शरद खरे)

सिवनी शहर में नगर पालिका को पता नहीं क्या हो गया है। हालत देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नगर पालिका अपने मूल काम को छोड़कर अपना पूरा ध्यान पता नहीं किस ओर लगाये हुए है। शहर में जो पानी प्रदाय किया जा रहा है उसकी शुद्धता देखने वाला कोई नहीं बचा है। शहर में लोग पानी पीकर बीमार हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा हर साल कृमि नाशक दवा का वितरण कराया जा रहा है।

इसी तरह सिवनी शहर में आवारा मवेशी, सूअर, कुत्ते, गधे आदि कोहराम मचाये हुए हैं। लोगों का जीना मुहाल किये हैं आवारा जानवर। नगर पालिका इन्हें नियंत्रित नहीं करना चाह रही है। देर रात काले रंग के जानवरों से टकराकर वाहन चालक चोटिल हो रहे हैं। तत्कालीन जिला कलेक्टर भरत यादव के द्वारा अपने कार्यकाल में लगातार दो साल तक नगर पालिका को बार-बार कड़े निर्देश जारी कर कहा गया था कि आवारा जानवरों को सड़कों से हटाया जाये, किन्तु नगर पालिका ने उनकी एक न सुनी। इसके बाद धनराजू एस. एवं गोपाल चंद्र डाड के कार्यकाल में स्थितियां जस की तस रहीं। इनके द्वारा भी पालिका की मश्कें कसने की कवायद नहीं की गयी।

आवारा सूअर लोगों के घरों के अंदर घुस रहे हैं। लोगों के बिना चारदीवारी वाले घरों के अंदर दर्जनों की तादाद में एक साथ घूम रहे सूअरों का तांडव देखते ही बनता है। लगभग चार साल पूर्व नगर पालिका परिषद के द्वारा महंगे विज्ञापन जारी कर सूअरों के विनिष्टिकरण की निविदा बुलायी गयी थी। इसके बाद पाँच सौ पचास रुपये प्रति सूअर के हिसाब से दरें भी तय कर दी गयी थीं। पालिका का सूअर विनिष्टिकरण का अभियान आरंभ ही नहीं हो सका। अगर इस तरह से अभियान को परवान ही नहीं चढ़ाना था तो विज्ञापन जारी कर जनता के पैसों का अपव्यय क्यों किया गया!

सड़कों पर आवारा मवेशी खड़े जुगाली करते आसानी से देखे जा सकते हैं। पालिका के पास मवेशी के लिये हाका गैंग है, कांजी हाउस है, सारे संसाधन हैं पर पालिका इस दिशा में ध्यान पता नहीं क्यों नहीं देना चाह रही है? आवारा मवेशियों के गोबर से लोगों के प्रतिष्ठानों के आसपास गंदगी फैल रही है। सड़कों पर ये यातायात बाधित करते भी नज़र आते हैं।

इसी तरह आवारा कुत्तों के द्वारा लोगों को बुरी तरह परेशान किया जा रहा है। आवारा कुत्तों के द्वारा सुबह-सवेरे स्कूल जाते छोटे बच्चों पर हमला कर दिया जाता है। चिकित्सालय के आसपास फेंके जाने वाली खून-मवाद की गंदगी (बायो मेडिकल वेस्ट) को खाकर कुछ कुत्ते बेहद आक्रमक भी हो उठे हैं। देर रात श्वानों के लड़ने की आवाजें भी लोगों को भयाक्रांत करती नज़र आती है। आज भी रात ढलते ही कुत्तों के आपस में लड़ने की कर्कश आवाजें लोगों की नींद में खलल डालती दिख जाती हैं।

ये हालात पालिका प्रशासन से छुपे नहीं हैं। बार-बार अखबारों में सचित्र खबरों के प्रकाशन के बाद भी पालिका प्रशासन नहीं जाग सका है। जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह के द्वारा नगर पालिका की मश्कें कसने की कवायद की गयी है जिसे शुभ संकेत के तौर पर देखा जाना चाहिये। जिला कलेक्टर से अपेक्षा है कि वे किसी उप जिला अध्यक्ष को नगर पालिका का प्रभारी अधिकारी नियुक्त कर पालिका के कामकाज की नियमित मॉनीटरिंग करें तभी पालिका की व्यवस्थाएं पटरी पर आ सकेंगी और नागरिकों को राहत मिल पायेगी।

 

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