पिता पुत्र का होगा मकर राशि में 24 को मिलन

 

29 साल बाद बन रहा योग दिखायेगा अनेक संयोग

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। न्याय के देवता माने जाने वाले शनि देव 24 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। यहाँ पहले से ही उनके शत्रु माने जाने वाले उनके पिता सूर्य देव भी विद्यमान हैं।

मराही माता स्थित कपीश्वर हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी उपेंद्र महाराज धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि अपने पिता सूर्य को अपना दुश्मन मानते हैं। इसलिये इन दोनों ग्रहों की युति कभी भी अच्छी नहीं मानी जाती। शनि का मकर राशि में प्रवेश का असर (विपरीत परिस्थितियां) अगले दो से तीन साल तक बना रहता है।

उन्होंने बताया कि शनि देव धीरे – धीरे गतिमान होते हैं, लेकिन इस वर्ष उनकी परिधि में तेजी देखने को मिलेगी। इससे देश में जहाँ तहाँ संघर्ष की स्थितियां निर्मित होंगी। अच्छी बात यह रहेगी कि इस वर्ष न्याय के क्षेत्र में प्रगति आयेगी। वहीं बुध भी मकर राशि में विराजमान हैं। बुध और सूर्य के मिलने से बुधादित्य योग बन रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि यह योग 29 साल बाद बना है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य, बुध और शनि की युति अच्छा संकेत नहीं है, जबकि सूर्य और बुध की युति शुभ मानी गयी है। इससे व्यापार और व्यवसाय में सफलता हासिल होती है। सूर्य और शनि की युति एक अशुभ योग है। इस कारण जातकों को सफलता हासिल करने में देरी होती है। पिता-पुत्र के संबंध खराब हो जाते हैं। 31 जनवरी को बुध के राशि बदलने तक ये तीनों ग्रह एक साथ रहेंगे।

इसके बाद सूर्य देव और शनि देव ही मकर राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य 13 फरवरी को कुंभ राशि में जायेंगे। वहीं शनि अगले ढाई साल तक मकर राशि में रहेंगे। 24 जनवरी से लेकर 13 फरवरी तक विभिन्न राशि के जातकों पर ग्रहों की इस युति का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।

बन सकती है 1991 से 1993 जैसी स्थिति : उन्होंने बताया कि इसके पूर्व 29 साल पहले 21 मार्च 1990 को शनि देव ने मकर राशि में प्रवेश किया था। उनके प्रवेश से देश को 1991, 1992 एवं 1993 वर्ष में विभिन्न दौर देखने को मिले थे। उस समय सूर्य मीन राशि में थे और चार ग्रहों शुक्र, मंगल, राहु व शनि का योग बना था। उस समय मंगल उच्च और बुध नीच के थे। शनि के इस गोचर का प्रभाव ढाई से तीन साल तक रहता है।

इसी का नतीज़ा रहा कि 1991 में राजीव गांधी का निधन हुआ, 1992 में बाबरी मस्जिद में तोड़फोड़ हुई एवं 1993 में बम ब्लास्ट, सूरत व लातूर में भूकंप आया था। उस समय कुछ ग्रहों के अलग – अलग संयोग बने थे। 29 साल बाद फिर वही योग वर्ष 2020 में बनने जा रहा है, तो देश में 1990 से 1993 जैसी स्थितियां देखने मिल सकती हैं। इस दौरान पुरातत्व को नये आयाम मिलेंगे। ज्योतिषाचार्य के अनुसार शनि की साढ़े साती से बचने के लिये वहम से बचें, नकारात्मकता से दूर रहें, सेवा को प्राथमिकता दें, गरीबों, मजदूरों को दान दें।