शुरू हो रही है चांद पर पांव रखने की होड़

 

(प्रदीप) 

अब से पचास साल और कुछ महीने पहले 21 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रांग ने जब चंद्रमा पर कदम रखा था, तब उन्होंने कहा था कि एक आदमी का यह छोटा-सा कदम मानवता के लिए एक विराट छलांग है। अपोलो मिशन के तहत अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच चांद की ओर कुल नौ अंतरिक्ष यान भेजे और छह बार इंसान को चांद पर उतारा। अपोलो मिशन खत्म होने के तीन दशक बाद तक चंद्र अभियानों के प्रति एक बेरुखी सी दिखाई दी थी। मगर चांद की चाहत दोबारा बढ़ रही है। बीता साल चंद्र अभियानों के लिहाज से बेहद खास रहा। 16 जुलाई, 2019 को इंसान के चांद पर पहुंचने की पचासवीं वर्षगांठ थी। जनवरी 2019 में एक चीनी अंतरिक्ष यान चांग ई-4 ने एक छोटे से रोबोटिक रोवर के साथ चांद की दूर वाली सतह पर उतरकर इतिहास रचा।

भारत ने अपने महत्वाकांक्षी चंद्र अभियान के तहत चंद्रयान-2 को चांद की ओर भेजा हालांकि उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिली। बीते साल इजरायल ने भी एक छोटा रोबोटिक लैंडर उस ओर भेजा था, लेकिन वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साल 2023-24 तक चांद पर इंसानी मिशन भेजने को लेकर अपना काम तेज कर दिया है। अंतरिक्ष में हमारा सबसे नजदीकी पड़ोसी चांद प्राचीन काल से ही मानव जाति की जिज्ञासा का विषय रहा है। पिछली सदी के पूर्वार्ध तक हम अपनी चंद्र जिज्ञासा को दूरबीन से ली गई तस्वीरों से ही शांत करते थे। पहली बार साल 1959 में रूसी (तत्कालीन सोवियत) अंतरिक्ष यान लूना-1 चंद्रमा के करीब पहुंचने में कामयाबी रहा। इसके बाद रूसी यान लूना-2 पहली बार चंद्रमा की सतह पर उतरा। सोवियत संघ ने 1959 से लेकर 1966 तक एक के बाद एक कई मानवरहित अंतरिक्ष यान चंद्रमा की धरती पर उतारे।

(साई फीचर्स)