पंजाब, केरल के बाद पश्चिम बंगाल सरकार भी लाएगी सीएए विरोधी प्रस्ताव

 

27 को बुलाया गया विशेष सत्र

(ब्‍यूरो कार्यालय)
कोलकता (साई)। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देशभर के कई राज्यों में प्रदर्शन हो रहा है। केरल और पंजाब की विधानसभा में बाकायदा सीएए विरोधी प्रस्ताव भी लाया जा चुका है। अब पश्चिम बंगाल की विधानसभा में 27 जनवरी को इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी है। इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया गया है। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस चीफ और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी शुरुआत से ही इस कानून का विरोध कर रही हैं।

ममता बनर्जी ने खुद सीएए के विरोध में रैलियां की हैं। पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद भी ममता बनर्जी ने कहा था कि उन्होंने इस कानून को वापस लेने की मांग पीएम से की है। अब ममता बनर्जी की सरकार राज्य की विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। इसके लिए 27 जनवरी को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। 27 जनवरी को दोपहर 2 बजे यह प्रस्ताव विधानसभा में रखा जाएगा।

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी शुरुआत से ही इस कानून के खिलाफ हैं। उनकी पार्टी ने पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में सीएए के विरोध में रैलियां की हैं। ममता बनर्जी ने खुद इन रैलियों और पैदल मार्च की अगुवाई की। ममता बनर्जी ने अन्य राज्यों से भी सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने की मांग करते हुए कहा था, ‘मैं देश में विपक्ष शासित राज्यों तथा पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की सरकार से अपील करना चाहती हूं कि एनपीआर को लेकर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ लें। इसके साथ ही मैं सभी राज्यों से अपील करती हूं कि सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास करें।

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल से पहले केरल की लेफ्ट सरकार और पंजाब की कांग्रेस सरकार इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास किया है। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रस्ताव से सीएए के संवैधानिकता पर कोई असर नहीं पड़ता है क्योंकि नागरिकता का विषय संविधान की केंद्रीय सूची में आता है।