घंसौर के सुमित बने युवाओं के लिये प्रेरणास्त्रोत
(संतोष बर्मन)
घंसौर (साई)। पढ़ायी करने के लिये माहौल, संसाधन, प्रशिक्षण आदि की जरूरत शायद नहीं पड़ती है। इसके लिये जरूरत है तो सिर्फ और सिर्फ लगन और जज्बे की। घंसौर के सुमित (29) पिता कृष्ण कुमार विश्वकर्मा ने राज मिस्त्री का काम करते हुए पढ़ायी की और यूपीएससी की परीक्षा में 53वीं रैंक भी हासिल की है।
अगर आपके अंदर जज्बा और लगन है तो कोई भी कारण आपको सफल होने से नहीं रोक सकता है। युवाओं के लिये घंसौर के बम्हौड़ी ग्राम के सुमित माहेश्वरी ने एक मिसाल कायम की है। वे दिन में राज मिस्त्री का काम करते थे और उसके बाद रात में लगभग दस घण्टे पढ़ायी भी किया करते थे।
हाल ही में घोषित हुए यूपीएससी परीक्षा के नतीजों में घंसौर के लोग उस समय उछल पड़े जब उन्होंने बम्होड़ी के सुमित विश्वकर्मा का नाम 53वीं रैंक पर देखा। सुमित की इस सफलता पर बम्होड़ी में उत्सव जैसा माहौल बना हुआ है। पूरे गाँव के लोग एक दूसरे को मिठाईयां खिलाकर बधाईयां दे रहे हैं।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान सुमित ने बताया कि उनके द्वारा बीई और एमटेक किया गया है। इस दौरान उन्हें प्लेसमेंट कंपनीज के ऑफर भी मिले पर परिवार की स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाना ही उचित समझा।
सुमित के अनुसार काम की तलाश में उनके माता – पिता बीस साल पहले घंसौर से जबलपुर चले गये थे। उनके पिता कृष्ण कुमार तब से अब तक राज मिस्त्री का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी आरंभिक शिक्षा बम्होड़ी में ही हुई। इसके बाद छठवीं से आठवीं तक की परीक्षा उन्होंने जबलपुर से उत्तीर्ण की।
उन्होंने बताया कि उनके दादा और दादी गाँव में अकेले थे, जिसके चलते उन्हें जबलपुर को छोड़ गाँव की ओर रूख करना पड़ा। उन्होंने इसके बाद शालेय शिक्षा गाँव में ही ग्रहण की। इसके उपरांत उन्होंने जबलपुर के हितकारिणी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक उपाधि लेने के बाद एमटेक की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। उन्होंने बताया कि उनकी पढ़ायी के दौरान उनके माता – पिता के द्वारा कभी भी उन्हें आर्थिक तंगी के चलते भी बाधा उत्पन्न नहीं होने दी गयी।
सुमित बताते हैं कि वे पिछले एक दशक से अपने पिता के साथ राज मिस्त्री का काम करते थे। इसके पीछे उन्होंने कारण बताते हुए कहा कि उनका विवाह हो गया था। उन्होंने बताया कि घर चलाने, कॉम्पिटीटिव परीक्षाओं की किताबों और परीक्षाओं की फीस भरने के लिये उन्हें पैसों की जरूरत होती थी, इसलिये उनके द्वारा यह सब किया गया। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा एक निजि कॉलेज में नौकरी भी की गयी।
सुमित की मानें तो उनके द्वारा 2010 से ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आरंभ कर दी गयी थी। उन्होंने 2017 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी पर वे सफल नहीं हो पाये। इसके बाद उन्होंने ऑन लाईन कोचिंग और अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित किया और अंत में वे सफल हो गये।