बड़े बाबा का महास्तकाभिषेक आज

 

166 वर्ष पूर्व हुई थी बड़े बाबा की स्थापना

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। दिगंबर जैन मंदिर में स्थापित श्याम वर्णीय भगवान पार्श्ववनाथ की स्थापना के 166 वर्ष पूर्ण होने पर महा मस्तकाभिषेक का आयोजन आर्यिका दृढ़मति माताजी के संसघ सानिध्य में 05 फरवरी को आयोजित किया गया है।

उल्लेखनीय है कि सिवनी में भगवान पार्श्ववनाथ की अतिशयकारी प्रतिमा को बड़े बाबा के रूप में भी जाना जाता है। सन 1854 में नागपुर जैन समाज के आदेश पर जयपुर से निर्मित हुई प्रतिमा को लेकर शिल्पकार बैलगाड़ी में नागपुर की ओर ले जा रहे थे, किंतु सिवनी आने के उपरांत 03 दिन तक काफी प्रयासों के बाद भी बैलगाड़ी का पहिया आगे नही बढ़ा।

कहा जाता है कि रात्रि में शिल्पकार को आभास हुआ कि कोई देवीय शक्ति उसे आभास करा रही है कि प्रतिमा का स्थान आ गया है। आगे बढ़ने का प्रयास मत करो। प्रातः शिल्पकार ने जैन समाज के घरों में जाकर उन्हें अपनी सारी स्थितियों से अवगत कराया। काफी प्रयत्नों के उपरांत बड़े बाबा की यह प्रतिमा पाहुने बाबा के कर्मयोग से नगर में विराजमान की गई।

इनके विराजित होते ही गगनचुंबी विशालकाय जिनालयों के निर्माण की श्रृंखला प्रारंभ हो जाती है। समाज में सब प्रकार की सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। 04 फरवरी 1854 को बड़े मंदिर में स्थापित इस प्रतिमा के स्थापना दिवस के अवसर पर शांतिधारा आयोजित की गई।

प्रथम कलश निर्मल कुमार, कमल कुमार बाझल को प्राप्त हुआ, द्वितीय, चक्रेश जैन मेढ़ी पाटन परिवार को एवं शांति धारा निलेन्द्र जैन छपारा एवं अभय कुमार,रूपेश कुमार को प्राप्त हुआ। भगवान के संभवशरण में अष्ट प्राथीहार मिलन, नीलम बाझल को प्राप्त हुआ। अष्ट मंगल महिला परिषद की सदस्यों को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संचालन पारस जैन ने किया।